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इतिहास दोहराने को तैयार भारतीय शेर

भारत विश्व रैंकिंग में बेशक सीरिया से कहीं पीछे हो। मेजबान टीम बेशक लीग मैच में सीरिया से हार गई हो लेकिन सोमवार को होने वाले नेहरू कप फुटबाल टूर्नामेंट के फाइनल में गत चैंपियन भारत अपने हजारों...

इतिहास दोहराने को तैयार भारतीय शेर
एजेंसीSun, 30 Aug 2009 04:33 PM
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भारत विश्व रैंकिंग में बेशक सीरिया से कहीं पीछे हो। मेजबान टीम बेशक लीग मैच में सीरिया से हार गई हो लेकिन सोमवार को होने वाले नेहरू कप फुटबाल टूर्नामेंट के फाइनल में गत चैंपियन भारत अपने हजारों समर्थकों के जोरदार समर्थन से डा अंबेडकर स्टेडियम में इतिहास दोहराने के लक्ष्य के साथ उतरेगा।

भारत ने आखिरी लीग मैच में फीफा रैंकिंग में 95वें स्थान पर मौजूद सीरिया के हाथों मिली 0-1 की हार में अपने सभी पत्तेनहीं खोले थे और कप्तान बाइचुंग भूटिया तथा सुरकुमार को सीरिया के खिलाफ खिताबी मुकाबले की तैयारी के लिए विश्राम दिया था। कोच बाब हाटन ने टीम के कई अन्य प्रमुख खिलाडियों सुनील छेत्री और स्टीवन डायस को इस मैच में कुछ-कुछ देर के लिए आजमाया था।

सोमवार को खिताबी मुकाबले में उतरते समय फीफा रैंकिंग में 156वें स्थान पर काबिज भारत अपनी पूरी ताकत उस इतिहास को दोहराने में लगाएगा जो उसने दो वर्ष पहले भूटिया के नेतृत्व में इसी मैदान पर सीरिया को 1-0 से हराकर बनाया था।यदि भारत सोमवार को फिर इस खिताब पर कब्जा करता है तो इस मैदान पर उसकी यह खिताबों की हैट्रिक होगी। वर्ष 2007 में

नेहरू कप जीतने के बाद भारत ने 2008 में इसी मैदान पर एएफसी चैलेंज कप जीता था और अब एक बार फिर बारी नेहरू कप की है।

भारत ने बेशक लेबनान से शुरुआती मुकाबला हारा था लेकिन उसके बाद से उसने मैच दर मैच अपने प्रदर्शन में जबर्दस्तसुधार किया। हालांकि फीफा रैंकिंग में सीरिया की टीम भारत से बहुत ऊपर है, लेकिन भारतीय टीम के हालिया प्रदर्शन को देखते हुए फाइनल में उसे कमतर नहीं आंका जा सकता है। भले ही भारतीय टीम शनिवार को सीरिया के खिलाफ खेले अपने अंतिम लीग मैच में हार गया हो लेकिन इस मैच में टीम के प्रदर्शन से एक बात साफ नजर आई कि अगर भारत अपनी पूरी क्षमता से खेले तो ऊंची रैंकिंग वाली टीमों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है।

खिताबी मुकाबले जीतने के लिए हालांकि भारत को अपनी कमियों जल्दी ही काबू पाना होगा। मेजबान टीम की रक्षापंक्ति अंतिम लीग मैच में पूरी तरह से दरकी नजर आई। हालांकि कप्तान बाइचुंग भूटिया और सुरकुमार जैसे बेहतर खिलाड़ी इस मैच में नहीं खेले थे लेकिन फाइनल में इस तरह की कमजोरी घातक साबित हो सकती है।

भारतीय कोच बाब हाटन ने शनिवार के मैच के बाद कहा था कि लीग मैच में टीम की हार को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान तो सिर्फ फाइनल पर लगा हुआ है क्योंकि फाइनल और लीग मैच में बहुत अंतर होता है। मुझे विश्वास है कि हम अपना खिताब बचाने में सफल रहेंगे।

जाहिर तौर पर अपने कोच के विश्वास पर खरा उतरने के लिए भूटिया, सुनील छेत्री, स्टीवन डायस और एनपी प्रदीप जैसे खिलाड़ियों को पूरे दमखम के साथ मैदान में भागना होगा क्योंकि इस मुकाबले में भूल की कोई गुंजाइश नहीं होगी। भारतीय रक्षापंक्ति के अलावा फारवर्डो को भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा। स्ट्राइकर भूटिया और छेत्री को खिताबी मुकाबले में अपना श्रेष्ठ देना होगा।

इस बार सीरियाई टीम भी पिछली बार की खिताबी हार को दुरूस्त करने के लिए मैदान में उतरेगी। सीरियाई कोच फजेर इब्राहिम और कप्तान मोसाब बलूस ने कुछ दिन पहले साफ कर दिया था कि उन्हें इस बार खिताब जीतना ही है। वैसे भीमेहमान टीम अभी शानदार फार्म में चल रही और उसे टूर्नामेंट में अपने सभी लीग मैच जीते हैं।

सीरिया ने भी भारत के खिलाफ मैच में अपने कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ियों कप्तान मोसाब बलहोस, मोहम्मद अलजिनो औरअब्देलराजक अल हुसैन को मैदान पर नहीं उतारा था। ऐसे में भारत के लिए मेहमान टीम के खिलाफ होने वाला मुकाबला इतना आसान नहीं होने वाला है। वैसे भी सीरियाई खिलाड़ियों ने जिस तरह अंतिम लीग मैच में भारत के खिलाफ प्रदर्शन किया है वह मेजबान टीम के माथे पर शिकन डालने के लिए काफी है।

भारत के पास अपने घरेलू मैदान पर घरेलू दर्शकों के अपार समर्थन के बीच खेलने का फायदा है। पर बिना अपनी कमजोरियों पर पार पाए भारत को सीरिया के खिलाफ काफी मुश्किल होती है। हालांकि कप्तान भूटिया अपने खिलाड़ियों से इतिहास दोहराने की उम्मीद तो होगी ही। वहीं भारतीय फुटबाल प्रशंसकों को अपनी राष्ट्रीय टीम से एक और खिताब की उम्मीद तो होगी ही।

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