गहरे जल संकट की ओर बढ़ रहे हैं दिल्ली-हरियाणाः नासा
देश में जहां बहुत से हिस्से पहले से ही सूखे का सामना कर रहे हैं, वहीं एक और बुरा समाचार है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा है कि दिल्ली सहित उत्तर भारतीय शहरों में पिछले एक दशक से हर साल भूजल स्तर में एक...
देश में जहां बहुत से हिस्से पहले से ही सूखे का सामना कर रहे हैं, वहीं एक और बुरा समाचार है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कहा है कि दिल्ली सहित उत्तर भारतीय शहरों में पिछले एक दशक से हर साल भूजल स्तर में एक फुट की कमी आ रही है।
भूजल के स्तर में इस कदर आ रही गिरावट से चिंतित वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह सब मानवीय गतिविधियों की वजह से हो रहा है और चेतावनी दी है कि यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो क्षेत्र में कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो सकती है और पेयजल का गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
नासा की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख के अनुसार वैज्ञानिकों ने नासा के उपग्रह विवरण की मदद से पाया कि उत्तर भारत में पिछले एक दशक से अधिक समय से हर साल भूजल स्तर एक फुट कम होता जा रहा है।
अनुसंधानकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह सब मानवीय गतिविधियों की वजह से हो रहा है। लेख में कहा गया है कि वर्ष 2002 से 2008 के बीच हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और राष्ट्रीय राजधानी में 108 घ्ान किलोमीटर भूजल गायब हो चुका है।
यह आंकड़ा नासा के ग्रेविटी रिकवरी एंड क्लाइमेट एक्सपेरीमेंट पर आधारित है। इस लेख को अमेरिकी दूतावास की वेबसाइट पर फिर से प्रकाशित किया गया जिसमें कहा गया है कि क्षेत्र कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए सिंचाई पर निर्भर हो चुका है। यदि उचित कदम नहीं उठाए जाते तो क्षेत्र के 11 करोड़ 40 लाख लोगों को कृषि व्यवस्था के ध्वस्त हो जाने तथा गंभीर पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
नासा के गोडर्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के मैट रोडेल के नेतृत्व में जल विज्ञानियों की एक टीम ने पाया कि भूजल को सिंचाई आदि कार्य के लिए पंपिंग व्यवस्था के जरिए बाहर निकाला जाता है और मानवीय गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
रोडेल ने कहा कि हम यह नहीं जानते कि उत्तर भारतीय क्षेत्रों में भूजल की मात्रा कितनी है लेकिन यह जरूर है कि जिस दर से पानी को बाहर निकाला जा रहा है वह ठीक नहीं है।