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पोखरण दो पर विवाद बेतुकाः काकोदकर

परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष डा अनिल काकोदकर ने पोखरण- दो परमाणु परीक्षणों पर उठे विवाद को शुक्रवार को बेतुका करार दिया और कहा कि परीक्षण पूरी तरह से सफल थे तथा उनसे सौ फीसदी वांछित नतीजे...

पोखरण दो पर विवाद बेतुकाः काकोदकर
एजेंसीFri, 28 Aug 2009 10:33 PM
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परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष डा अनिल काकोदकर ने पोखरण- दो परमाणु परीक्षणों पर उठे विवाद को शुक्रवार को बेतुका करार दिया और कहा कि परीक्षण पूरी तरह से सफल थे तथा उनसे सौ फीसदी वांछित नतीजे मिले।

परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष इंदौर के राजा रमन्ना प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआर कैट) में एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से मुखातिब थे। उनसे पोखरण- दो परमाणु परीक्षणों की सफलता को लेकर शीर्ष वैज्ञानिक डा के संथानम के हालिया बयान से उठे विवाद पर सवाल किया गया था।

डा काकोदकर ने जवाब में कहा कि इन परमाणु परीक्षणों की सफलता जांचने के लिए एक नहीं, बल्कि चार वैज्ञानिक विधियों का सहारा लिया गया था। इनमें थ्री डायमेंशनल सिमुलेशन आधारित तकनीक शामिल थी। इसके जरिये परमाणु परीक्षणों की वजह से नजदीकी सतह की हलचल और उसके आकार में हुए बदलाव की जांच की गई थी।

डा काकोदकर ने कहा कि परमाणु परीक्षण की कामयाबी जांचने की यह तकनीक तब केवल भारत के पास थी। इसे खासतौर पर वर्ष 1974 में हुए देश के पहले परमाणु परीक्षण और अमेरिका के एक परमाणु परीक्षण के नतीजों के आधार पर विकसित किया गया था। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक चाहते थे कि पोखरण- दो के कारण नजदीकी मानवीय आबादी को किसी भी तरह का नुकसान न हो। लिहाजा 11 मई 1998 को हुए दो बड़े परीक्षणों में सिर्फ 60 किलो टन की डिजाइन क्षमता के विखंडन उपकरणों का इस्तेमाल किया गया था। इनमें एक चरण वाले विखंडन उपकरण की डिजाइन क्षमता 15 किलो टन थी, जबकि दो चरण वाला तापीय परमाणु विखंडन उपकरण 45 किलो टन डिजाइन क्षमता का था।

डा काकोदकर ने बताया कि परमाणु परीक्षण की सफलता की पुष्टि के लिए परीक्षण स्थल के पास खुदाई करके चट्टानों की रेडियोधर्मिता जांची गई। इसके अलावा भूकंपीय और रेडियो रासायनिक मापन तकनीक से भी परमाणु परीक्षण के नतीजों को परखा गया। उन्होंने कहा कि परमाणु परीक्षणों के बाद परीक्षण स्थल के नजदीक और इसके दूर की गयी अलग-अलग वैज्ञानिक गणनाओं ने सिद्ध किया कि इनके नतीजे वांछित सीमा के बिल्कुल नजदीक थे।

परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के न्यूज लैटर और दूसरे वैज्ञानिक प्रकाशनों में इन गणनाओं का ब्यौरा पहले ही छप चुका है।

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