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इस साफ्टवेयर ने रोका फर्जीवाड़ा, देशभर में भर्ती रैलियों में होगा इस्तेमाल

अब सेना भर्ती में फर्जीवाड़ा नहीं चलेगा। चाहे फिजिकल-मेडिकल जाँच हो या लिखित परीक्षा, अभ्यर्थी ने कहीं भी कोई गड़बड़ी की तो वह पकड़ा जाएगा। इसके लिए भर्ती प्रक्रिया में रक्षा विभाग ने ऐसा सॉफ्टवेयर...

इस साफ्टवेयर ने रोका फर्जीवाड़ा, देशभर में भर्ती रैलियों में होगा इस्तेमाल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 23 Aug 2009 10:34 PM
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अब सेना भर्ती में फर्जीवाड़ा नहीं चलेगा। चाहे फिजिकल-मेडिकल जाँच हो या लिखित परीक्षा, अभ्यर्थी ने कहीं भी कोई गड़बड़ी की तो वह पकड़ा जाएगा। इसके लिए भर्ती प्रक्रिया में रक्षा विभाग ने ऐसा सॉफ्टवेयर शामिल किया है जो किसी भी तरह की हेराफेरी पकड़ने में कोई चूक नहीं करता।

इलाहाबाद के पोलो ग्राउंड पर चल रही भर्ती रैली में इस सॉफ्टवेयर ने अब तक गड़बड़ी के चार मामले पकड़े हैं। पुणो के ‘एकलव्य इनफोसिस’ द्वारा तैयार यह विशेष सॉफ्टवेयर अभी उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र और सिक्किम की सेना भर्ती रैली में ही इस्तेमाल किया रहा है। इसे अब देशभर में सेना भर्ती रैलियों में इस्तेमाल किया जाएगा।

इस सॉफ्टवेयर में अभ्यर्थी के अँगूठे के निशान के प्रिंट के साथ फोटो ली जाती है। इसके साथ ही अभ्यर्थी के सभी सर्टिफिटेक भी कम्प्यूटर में फीड कर दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया भर्ती की अलग-अलग परीक्षाएँ शुरू होने के पहले पूरी कर ली जाती है। इसके बाद हर चरण में अभ्यर्थी का वेरीफिकेशन सॉफ्टवेयर में फीड अँगूठे के निशान और फोटो से किया जाता है।

इस प्रक्रिया में वेरीफिकेशन लिखित परीक्षा तक होता है। यदि वेरीफिकेशन में कोई गड़बड़ी मिली तो अभ्यर्थी की खैर नहीं। यह सॉफ्टवेयर में कोई छेड़छाड़ भी संभव नहीं है। इस डिवाइस का कंट्रोल सिर्फ भर्ती प्रक्रिया की कमान संभाल रहे कर्नल के पास होता है। यह सॉफ्टवेयर बनाने वाली कम्पनी के निदेशक आतिश बिहानी के अनुसार यह डिवाइस पहली बार पिछले साल 26 नवम्बर को मुंबई हादसे के बाद इस्तेमाल में लाई गई थी। इसे फेडरल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टीगेशन द्वारा तय मानक के अनुरूप विकसित किया गया है।

सेना भर्ती कार्यालय (अमेठी) के निदेशक कर्नल अश्विनी वर्मा ने बताया कि इस डिवाइस के इस्तेमाल से फर्जीवाड़ा पूरी तरह रुका है। साथ ही भर्ती प्रक्रिया में समय भी कम लग रहा है। भर्ती रेली में सॉफ्टवेयर की देखरेख कर रहे कम्पनी के प्रोजेक्ट मैनेजर मनोज शर्मा ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर को पंजाब और देश के सीमावर्ती राज्यों में भी इस्तेमाल किया जाएगा।

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