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Hindi News‘नाच मेरे बालम’ का बोलवाला

‘नाच मेरे बालम’ का बोलवाला

जीव-जंतुओं के अधिकांश नृत्य मादा को रिझाने या उनके सामूहिक विवाह के अवसरों पर ही होते हैं। इस कला में बिच्छू भी प्रवीण होता है। बिच्छुओं में नर व मादा के साथ-साथ नृत्य करने की परम्परा है। जब तक थक कर...

‘नाच मेरे बालम’ का बोलवाला
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 20 Aug 2009 10:42 PM
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जीव-जंतुओं के अधिकांश नृत्य मादा को रिझाने या उनके सामूहिक विवाह के अवसरों पर ही होते हैं। इस कला में बिच्छू भी प्रवीण होता है। बिच्छुओं में नर व मादा के साथ-साथ नृत्य करने की परम्परा है। जब तक थक कर चकनाचूर न हो जाएं, तब तक इनका नृत्य चलता रहता है। यह आगे-पीछे कदम बढ़ाकर नाचते हैं, गोल चक्कर में नहीं। पर आज अगर कोई अपनी बीवी के इशारे पर नाचता है तो उसे लोग हिकारत की नजंर से देखते हैं। पर चैनलों की रूपसी ने तो अपना स्वंयवर रचा के मदरे को बता दिया कि औरत अगर चाहे तो सभी को उंगली पर नचा सकती है।

मंदाकनी सरोज, नई दिल्ली

पढ़े-लिखे और मांगे भीख

राजधानी में छब्बीस ग्रेजुएट एवं चार पोस्ट ग्रेजुएट भीख मांग रहे हैं। यह टीवी चैनलों को भी पता है। काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता, पर काम करने में ईमानदारी होनी चाहिए। काम की कमी नहीं है। आप उनकी मजबूरी समाज के सामने लाएं दूसरों को प्रेरणा मिलेगी।

मनमोहन शर्मा, महरौली

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