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राष्ट्र निर्माण के लिए ‘इस्लाम’ पर्याप्त होता, तो अरब के 22 टुकड़े नहीं होतेः एमजे अकबर

प्रख्यात लेखक और पत्रकार एमजे अकबर ने कहा कि 2009 के आम चुनाव ने देश में बड़े बदलाव के संकेत दिये हैं। चुनाव के दौरान खास तौर पर मुस्लिम वोटरों ने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी का समर्थन...

राष्ट्र निर्माण के लिए ‘इस्लाम’ पर्याप्त होता, तो अरब के 22 टुकड़े नहीं होतेः एमजे अकबर
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 19 Aug 2009 10:03 PM
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प्रख्यात लेखक और पत्रकार एमजे अकबर ने कहा कि 2009 के आम चुनाव ने देश में बड़े बदलाव के संकेत दिये हैं। चुनाव के दौरान खास तौर पर मुस्लिम वोटरों ने विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी का समर्थन किया, जो एक अच्छी बात है। यदि किसी राष्ट्र के निर्माण के लिए ‘इस्लाम’ ही पर्याप्त होता, तो अरब राष्ट्र के 22 टुकड़े नहीं होते। श्री अकबर बुधवार को बीएचयू के समाज विज्ञान संकाय में सेंटर फार स्टडी आफ सोशल एक्सक्लूसन एंड इनक्लूसिव पालिसी के तत्वावधान में आयोजित ‘एजुकेशन, डेवलपमेंट एंड माडर्निटी : एक्सपीरिएंसेज फ्राम इंडिया’ विषयक व्याख्यान में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि मुस्लिमों की जनसंख्या के हिसाब से देश के दो सबसे बड़े राज्य पश्चिम बंगाल और बिहार में मुस्लिमों ने आशा के विपरीत वोट किया। पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टी के खिलाफ मतदान किया, तो बिहार में नितीश कुमार व उनके राजनीतिक सहयोगियों को वोट दिया। इससे पता चलता है कि सिर्फ धर्मनिरपेक्षता की बात करने मात्र से मुस्लिम किसी पार्टी को वोट नहीं देंगे, बल्कि वे विकास को प्राथमिकता देने वाले दल को समर्थन देंगे। दशकों से मुस्लिम समुदाय ‘भविष्य में क्या होगा’ के भय से वोट करता रहा है, लेकिन हालिया आम चुनाव में इस वर्ग ने परिपक्वता दिखाई है।

श्री अकबर ने कहा कि 18 साल से अधिक उम्र के युवाओं को मताधिकार, धर्मनिरपेक्षता, लैंगिक समानता व आर्थिक बराबरी भारत की उपलब्धि है। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज विज्ञान संकाय के प्रमुख प्रो. एके जैन ने की। विशिष्ट अतिथि पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. एसके श्रीवास्तव थे। स्वागत व संचालन प्रो. अजीत पाण्डेय ने किया। श्री अकबर ने कुलपति प्रो. डीपी सिंह से  मुलाकात की और भारत कला भवन में लगभग दो घंटे बिताया। इस दौरान उन्होंने निधि, मूर्ति, पेंटिंग, वस्त्र और मालवीय गैलरी का अवलोकन किया। कला भवन के संयुक्त निदेशक डा. नवल कृष्ण ने श्री अकबर को स्मृतिचिह्न् और कुछ प्रकाशन उपहार के रूप में प्रदान किया।

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