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Hindi Newsआगरा के संयोग में नई राह तलाशेगी सपा, कांग्रेस को दो-टूक संदेश देने की तैयारी

आगरा के संयोग में नई राह तलाशेगी सपा, कांग्रेस को दो-टूक संदेश देने की तैयारी

समाजवादी पार्टी के राजनीतिक सफर में आगरा का खास मुकाम है। मुमकिन है, यह महज संयोग हो। करीब डेढ़ दशक पहले आगरा में ही पार्टी की स्थापना हुई थी। मार्च 2003 में पार्टी के आगरा सम्मेलन के कुछ महीनों...

आगरा के संयोग में नई राह तलाशेगी सपा, कांग्रेस को दो-टूक संदेश देने की तैयारी
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 17 Aug 2009 10:12 PM
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समाजवादी पार्टी के राजनीतिक सफर में आगरा का खास मुकाम है। मुमकिन है, यह महज संयोग हो। करीब डेढ़ दशक पहले आगरा में ही पार्टी की स्थापना हुई थी। मार्च 2003 में पार्टी के आगरा सम्मेलन के कुछ महीनों बाद ही तत्कालीन मायावती सरकार गिर गई थी और सपा की सरकार बनी थी।

अब 19 अगस्त से आगरा में ही सपा का तीन दिन का विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन होने जा रहा है। जो कई मायनों में अहम है। सपा की वैचारिक पूँजी गैरकांग्रेसवाद रही और उसी आधार पर फली-फूली। आज सपा, केन्द्र की कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के साथ है। इस अधिवेशन का मुख्य एजेंडा कांग्रेस से सपा के रिश्तों की दशा-दिशा तय करना है। लेकिन पार्टी की धुरी और ताकत यूपी में है, लिहाजा बसपा सरकार के खिलाफ तेवर भी जरूरी है। तो इस खास अधिवेशन में प्रदेश सरकार के खिलाफ जेल भरो सरीखे आंदोलन की घोषणा भी संभव है।

सपा की जद्दोजहद खुद को यूपी में बसपा के मुकाबिल मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित किए रखने की है। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस यह जगह लेना चाहती है। एटमी करार पर साथ देने के बाद सपा को उम्मीद थी कि कांग्रेस से रिश्ता लंबा चलेगा। यह हुआ नहीं। कांग्रेस से मोहभंग की स्थिति है। पार्टी इस ऊहापोह में ज्यादा दिन नहीं रहना चाहती। आशंका है कि इस हालत से जनाधार छिटकेगा और कांग्रेस ही मजबूत होगी।

लिहाजा आगरा में पार्टी कांग्रेस से दो-दो हाथ के अंदाज में बात करे तो हैरानी नहीं होगी। सच्चर कमेटी की सिफारिशों को लागू करने की माँग समेत कई ऐसे मुद्दों को पार्टी उठाएगी जो उसे मुसलमानों के करीब ले जाने में मददगार हो। केन्द्र सरकार से समर्थन वह तुरंत वापस ले या नहीं, इस पर फिलहाल आम राय नहीं है।

राष्ट्रीय अधिवेशन के एजेंडे को अंतिम रूप देने के लिए मंगलवार को आगरा में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी समर्थन वापसी पर बात होगी। चूँकि यूपी में खुद को मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में मजबूती से बनाए रखने की चुनौती है लिहाजा कांग्रेस के लिए दो टूक संदेश के अलावा सपा अपने अधिवेशन में मायावती सरकार के खिलाफ आंदोलन के कार्यक्रमों की घोषणा भी कर सकती है। इसमें जेल भरो आंदोलन की घोषणा भी संभव है।

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