भूसी से बनी बिजली रोशन होंगे गांव
धान की भूसी से बनेगी बिजली। दिन में चलेंगे उससे मिल और रात में रोशन होंगे गांव। पैक्सों को होगा आथिर्क लाभ और सरकार को मिलेगा सुकून। इसके लिए चावल मिल में बस एक गैसीफायर लगाने की जरूरत है। फिर...
धान की भूसी से बनेगी बिजली। दिन में चलेंगे उससे मिल और रात में रोशन होंगे गांव। पैक्सों को होगा आथिर्क लाभ और सरकार को मिलेगा सुकून। इसके लिए चावल मिल में बस एक गैसीफायर लगाने की जरूरत है। फिर देखिये कैसे कम होता है गांव और शहरों के बीच का फासला।
बिजली की किल्लत से परेशान राज्य सरकार ने यह योजना बनाई है। सूबे में 17 यूनिटों का सफलता पूर्वक संचालन करने के बाद सरकार अब इसके विस्तार का प्लान बना चुकी है। फिलहाल गैसीफायर की 100 यूनिटें और लगाने की योजना बनी है। 40 इकाइयां तो इसी वित्तीय वर्ष में काम करने लगेंगी।
सहकारिता विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकार पहले चरण में पैक्सों में गैसीफायर लगाने पर विचार कर रही है। राज्य के सभी 8463 पंचायत में एक पैक्स हैं। जिन 6500 पंचायतों में धान का उत्पादन होता है वहां यह योजना आसानी से चलाई जा सकती है।
जहां धान का उत्पादन नहीं होता है वहां भूसे की कमी के कारण गांवों में बिजली वितरण तो कठिन होगा फिर भी मिलें चलाई जा सकती हैं। लगुरांव पंचायत के कोल्ड स्टोरेज, सीवान के समालहाता स्थित पावरलूम और मधुबनी में मखाना प्रोसेसिंग प्लांट का संचालन सरकार गैसीफायर से करा भी रही है। इसके अलावा सारण जिले के विभिन्न गांवों में लगे चार गैसीफायर से बिजली की आपूर्ति भी की जा रही है।