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धरती के नए बाशिंदे

वातावरण में हो रहे लगातार परिवर्तन, समुद्र के अंदर जीवों के व्यवहार और संरचना में बदलाव, और ‘मानवीय’ असर की वजह से कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। वाइल्डलाइफ कंजव्रेशन सोसाइटी के...

धरती के नए बाशिंदे
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 16 Aug 2009 11:26 PM
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वातावरण में हो रहे लगातार परिवर्तन, समुद्र के अंदर जीवों के व्यवहार और संरचना में बदलाव, और ‘मानवीय’ असर की वजह से कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। वाइल्डलाइफ कंजव्रेशन सोसाइटी के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट जॉन रॉबिन्सन कहते हैं कि हम बमुश्किल धरती पर मौजूद 15 प्रतिशत प्रजतियों के बारे में ही जानते हैं, सो ऐसे में कई प्रजतियां जो अस्तित्व में आई और गुम भी हो गई, उनका हमें इल्म तक नहीं, लेकिन वाइल्ड लाइफ कंजव्रेशन सोसाइटी की रिपोर्ट, 2009 स्टेट ऑफ ऑब्जर्व्ड स्पीसिज के मुताबिक, 2007 में तकरीबन 18,516 प्रजतियां खोजी गई, जिसमें 2052 फूल वाले पौधे, फर्न, 1597 अन्य जानवर, 1233 पक्षी स्तनपाई, रेप्टाइल, उभयचर, 1194 मकड़ी, बिच्छू, 967 घोंघा, 840 झींगा मछली, झींगा, 631 बैक्टीरिया हैं।

स्मिथसोनियन इंस्टीटच्यूट ऑफ म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के क्रिस्टोफर एम. हेलेगन कहते हैं कि 2005 में वर्ल्ड मेमल रिपोर्ट में कहा गया था कि तकरीबन 5400 स्तनपाई प्रजातियों के बारे में जानकारी एकत्रित की जा चुकी है और हाल ही में इस फेहरिस्त में 400 नई प्रजातियों को शामिल किया गया है। वो कहते हैं कि हालांकि लोग इस बात को महसूस नहीं करते। हेलेगन ने बताया कि न्यू गुयाना, केन्या, सुलावेसी से आने वाले इन जानवरों में एक गुण समान था, यह सभी विज्ञान के लिए नए थे और कई तो इतने नए कि उनके नाम तक नहीं रखे गए थे। हेलेगन की तरह अन्य बायोलॉजिस्ट भी ऐसा मानते हैं कि हम ऐसे युग में हैं, जहां प्रजातियां तेजी से विलुप्त हो रही हैं।

नई खोज
ब्रोंक्स जू वाइलडलाइफ कंजव्रेशन सोसाइटी के फेबियो रो और उसके सहयोगियों ने हाल ही में एक नए बंदर की खोज करने की घोषणा की है। पीटाइट सेडलबैक टेमरिन, जिसकी पूंछ तीस सेंटीमीटर लंबी है, इस चितकबरे बंदर का रंग कच्चे चमड़े, हरे और सुनहरे का मिश्रित है। कंजव्रेशन ग्रुप के अन्य वज्ञानिकों ने बाद में नव आदिम प्रजातियों को बोलिविया, भारत और तंजानिया में खोज।

स्मिथसोनियन के विज्ञान के डिप्टी अंडरसेक्रेटरी स्कॉट ई. मिलर के अनुसार केन्या में उगने वाले फूल जो वहां के किसी स्थानीय स्टोर में बिकने पहुंचेंगे, में बिल्कुल नए किस्म के पतंगे हो सकते हैं। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इन प्राणियों की औपचारिक तौर से पहचान करना ही उन्हें जीवित रहने में सहायक होगी।

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