26/11 के हमलावर कराची से आए थेः एफबीआई विशेषज्ञ
अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के एक फोरेंसिक विशेषज्ञ ने बुधवार को विशेष अदालत को बताया कि आतंकवादियों द्वारा पिछले साल मुंबई में 26 नवंबर के हमलों के दौरान इस्तेमाल में लाए गए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम...
अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई के एक फोरेंसिक विशेषज्ञ ने बुधवार को विशेष अदालत को बताया कि आतंकवादियों द्वारा पिछले साल मुंबई में 26 नवंबर के हमलों के दौरान इस्तेमाल में लाए गए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) उपकरण इस बात की ओर इशारा करते हैं कि वे कराची से मुंबई आए थे और उनकी वापस पाकिस्तान लौटने की योजना भी थी।
न्यायाधीश एमएल टाहिलियानी के समक्ष एफबीआई के अधिकारी ने कहा कि उन्होंने पांच जीपीएस उपकरणों और एक सेटेलाइट फोन की जांच की थी, जो मुंबई पुलिस ने आतंकवादियों के पास से बरामद किए थे। गवाह की पहचान को गोपनीय रखा गया है।
फोरेंसिक विशेषज्ञ ने कहा कि जीपीएस उपकरण से प्राप्त वे प्वाइंट ने कराची से मुंबई के मार्ग को प्रदर्शित किया और दोनों शहरों के बीच की स्थिति को भी दर्शाया। गवाह ने कहा कि पांच जीपीएस में से दो काम नहीं कर रहे थे क्योंकि बैटरी खत्म हो चुकी थी और इसलिए इनसे डाटा नहीं मिल सका। वहीं तीन अन्य जीपीएस उपकरणों ने स्पष्ट तौर पर दोनों शहरों के बीच के मार्ग को दिखाया।
गवाह ने डाटा रिपोर्ट की हार्ड और सॉफ्ट कॉपी प्रस्तुत की, जो उन्होंने पहले मुंबई पुलिस को दी थी। विशेषज्ञ ने कहा कि उन्होंने 11 फरवरी को इन उपकरणों की जांच की थी और 18 फरवरी को जांच पूरी की। उन्होंने कहा कि मुंबई पुलिस ने उपकरणों को सीलबंद करके एफबीआई को भेजा था। गवाह ने कहा कि जीपीएस उपकरण खुद ब खुद वापसी यात्रा को रिकार्ड कर लेता है।
फोरेंसिक विशेषज्ञ ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद उपकरणों को फिर से एक पैकेट में बंद किया गया और उनके हस्ताक्षर के साथ सील कर दिया गया। गवाह ने अदालत में उपकरण और अपने हस्ताक्षर दोनों की पहचान की। जीपीएस उपकरणों को आतंकवादी हमलों के निशाना बनाए गए ताज महल होटल, ओबेराय होटल और एमवी कुबेर वेसल से बरामद किया गया था। इसी वेसल से आतंकवादी मुंबई पहुंचे थे।
गवाह ने कहा कि सेटेलाइट फोन के डाटा के अनुसार दो कॉल आईं थीं और एक मिस्ड कॉल भी थी। किसी ने संपर्क करने की कोशिश की थी लेकिन सेटेलाइट फोन ने काम नहीं किया। विशेषज्ञ की गवाही के दौरान पूरे समय कसाब मुस्कराता रहा।