नींद में डूबे शहर के लिए खतरे की घंटी
पटना में भूकम्प के झटके! शहर नींद की आगोश में था और पलक झपकते ही सबकुछ हो गया। गनीमत यह रही कि तबाही बरपाने वाले भूकम्प के झटकों की तीव्रता मारक नहीं थी। वर्ना..! लेकिन इसे बड़े खतरे के...
पटना में भूकम्प के झटके! शहर नींद की आगोश में था और पलक झपकते ही सबकुछ हो गया। गनीमत यह रही कि तबाही बरपाने वाले भूकम्प के झटकों की तीव्रता मारक नहीं थी। वर्ना..! लेकिन इसे बड़े खतरे के पहले की चेतावनी माना जा सकता है। पटना के 88.1 फीसदी इलाके हाई डैमेज रिस्क जोन में हैं। इन इलाकों को सिस्मिक जोन-फोर में रखा गया है।
राज्य सरकार इस खतरे से वाकिफ है और आपदा से निपटने की कार्रवाई पर मंथन शुरू हो गया है। पटना सहित बिहार के 24 जिले सिस्मिक जोन-फोर में हैं। यानी भूकम्प के जबरदस्त झटके आए तो तबाही का मंजर अविश्वसनीय होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई मौकों पर इस खतरे से अधिकारियों और पटना के लोगों को आगाह कर चुके हैं।
सिस्मिक जोन-फोर के दायरे में 100 फीसदी आने वाले जिलों में पश्चिम चंपारण, खगड़िया, कटिहार, गोपालगंज, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर, शेखपुरा और लखीसराय शामिल हैं। आपदा से निपटने के लिए पटना नगर निगम क्षेत्र में इसके लिए विशेष योजना बनायी गयी है। सभी 72 वार्डो में डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी का गठन होगा। इसके अध्यक्ष वार्ड पार्षद होंगे। हर वार्ड का सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे को तीन भागों में बांटा गया है। सामाजिक, संसाधन और उन इलाकों का सर्वेक्षण कराया जा रहा है जहां आपदा आने पर अधिक खतरे की आशंका है।
हर वार्ड में पांच वॉलेन्टियर होंगे जिन्हें मास्टर ट्रेनर के रूप में तैयार किया जाएगा। इसके बाद वे दूसरे लोगों को ट्रेनिंग देंगे। ट्रेनिंग के बाद हर वार्ड में मॉक ड्रील कराया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि आपदा की स्थिति से निपटने के लिए लोग किस कदर तैयार हैं। आपदा प्रबंधन विभाग ने पीएमसीएच और एनएमसीएच जैसे सरकारी अस्पतालों को भी ऐसी स्थितियों की तैयारी के लिए योजना बनाने को कहा है।
अस्पतालों को यह विकल्प तैयार करना है कि आपदा कि स्थिति पैदा हुई तो घायलों के त्वरित इलाज की क्या व्यवस्था होगी। पीएमसीएच में तैयारियों को लेकर काफी पहले मॉक ड्रील भी कराए गए थे।