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अच्छी कोशिश है `चल चलें’

सितारे : मिथुन चक्रवर्ती, मुकेश खन्ना, शिल्पा शुक्ला, रति अग्निहोत्री, कंवलजीत, अनूप सोनी, तन्वी हेगड़े, प्रीयेश सागर निर्माता/बैनर :  महेश पडालकर/अंकित पिक्चर्स निर्देशक : उज्ज्वल सिंह लेखक...

अच्छी कोशिश है `चल चलें’
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 08 Aug 2009 03:01 PM
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सितारे : मिथुन चक्रवर्ती, मुकेश खन्ना, शिल्पा शुक्ला, रति अग्निहोत्री, कंवलजीत, अनूप सोनी, तन्वी हेगड़े, प्रीयेश सागर
निर्माता/बैनर :  महेश पडालकर/अंकित पिक्चर्स
निर्देशक : उज्ज्वल सिंह
लेखक : विजया रामचन्द्रुला
गीत :  पीयूष मिश्रा
संगीत : इलयराज

कहानी :   11वीं कक्षा में पढ़ने वाले करीब 10-11 लड़के-लड़कियों का एक ग्रुप है, जिसमें नवनीत (प्रीयेश सागर) थोड़ा अलग है। उसके माता-पिता (रति अग्निहोत्री और कंवलजीत) उसकी पढ़ाई से कुछ नाखुश से रहते हैं। यही वजह है कि नवनीत पर पढ़ाई का प्रेशर हमेशा बना रहता है। विवाद यह भी है कि उसके पिता चाहते हैं कि वह इंजीनियर बने, लेकिन नवनीत साहित्य में कुछ करना चाहता है। यह परेशानी केवल नवनीत की ही नहीं है। उसके बाकी दोस्त भी कुछ ऐसी ही परेशानियों से आये दिन दो-चार होते रहते हैं। इसी दौरान खबरें आती हैं कि देशभर में छात्र-छात्राएं कम अंक आने की वजह से आत्महत्याएं कर रहे हैं। आखिरकार बाकी छात्रों को नवनीत के साथ हुए हादसे के बाद कुछ करने का मौका मिलता है। वह पेरेन्ट्स को अदालत में खींच लाते हैं और इस लड़ाई में बच्चों का पक्ष रखने का मौका मशहूर एडवोकेट संजय (मिथुन चक्रवर्ती) को मिलता है।  

निर्देशन :  नए निर्देशक के रूप में उज्ज्वल सिंह को विजया रामचन्द्रुला की कलम से एक अच्छी कहानी मिली है, जिसे उन्होंने काफी अच्छा बनाने की कोशिश की है, पर निर्देशन का कौशल उन्हें और अच्छी तरह से सीखना होगा। कई जगहों पर ठोस मुद्दे से जुड़ी बातों को असरदार तरीके से कहने में वह चूक गये। उनके निर्देशन में प्रहार कम गुहार ज्यादा दिखाई पड़ती है। 

अभिनय:  मंझे हुए कलाकारों ने अपना काम बखूबी निभाया है, लेकिन नए युवा कलाकारों के चुनाव में कोताही बरती गयी लगती है।  

गीत-संगीत :  कहानी के साथ गीत संगीत लय बनाता दिखता है। कुछ गीत हैंजो सुनने में अच्छे लगते हैं।
क्या है खास: स्टोरी का प्लॉट काफी अच्छा है। बच्चों का केस करना और ठोस मुद्दों को उठाने की जद्दोजहद।

क्या है बकवास : कई जगह बच्चों को बिना बात परिजनों पर हावी दिखाया गया है।

पंचलाइन : एक अच्छी स्टोरी को बढ़िया ट्रीटमेंट दिया जा सकता था, जिससे फिल्म में और जान आ सकती थी।

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