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फर्जी एनकाउन्टर में बचा रहे 13 पुलिस वालों को

हत्या के मामले में वांछित चंदौली के संजय नाम के युवक के फर्जी एनकाउन्टर में शामिल लखनऊ के गाजीपुर व गुडम्बा और चंदौली के धीना थाने में तैनात रहे 13 पुलिस वालों को बचाया जा रहा है। ह्यूमन राइट वॉच नाम...

फर्जी एनकाउन्टर में बचा रहे 13 पुलिस वालों को
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 07 Aug 2009 09:08 PM
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हत्या के मामले में वांछित चंदौली के संजय नाम के युवक के फर्जी एनकाउन्टर में शामिल लखनऊ के गाजीपुर व गुडम्बा और चंदौली के धीना थाने में तैनात रहे 13 पुलिस वालों को बचाया जा रहा है। ह्यूमन राइट वॉच नाम के गैर सरकारी संगठन ने इस मामले में प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी को पत्र भेजकर शिकायत की है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश हैं कि फर्जी एनकाउन्टर जैसे मामलों में पुलिस के खिलाफ की जाने वाली जाँच कोई स्वतंत्र एजेंसी करेगी पर इस मामले में एक थानाध्यक्ष को ही जाँच दे दी गई है।

शुक्रवार को यहाँ संगठन की ओर से प्रेस कांफ्रेंस में यूपी में पुलिस के हाल और मानवाधिकार उल्लंघन के बढ़ते मामलों पर हुई कार्यशाला में संगठन के संयोजक डा.लेनिन ने बताया कि संजय को जून 2006 में 14 तारीख को चंदौली स्थित उसके घर से परिवार वालों की मौजूदगी में उठाया गया था। इस बारे में उच्चाधिकारियों, मानवाधिकार संगठनों और नेताओं को लिखित जानकारी दी गई।

धरना प्रदर्शन हुए। इसके बावजूद 16 जून को लखनऊ के गाजीपुर थानाक्षेत्र में उसे पुलिस ने फर्जी एनकाउन्टर में मार गिराया। घर वालों ने इस मामले में पुलिस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की काफी कोशिश पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर सीआरपीसी की धारा 156.3. के तहत अदालत में मुकदमा दर्ज कराने के लिए दरखास्त दी गई। वहाँ एप्लीकेशन खारिज हो गई। इसके बाद सीजेएम के अपील की गई, वहाँ भी प्रार्थना खारिज हो गई। फिर परिवार वाले हाईकोर्ट गए।

हाईकोर्ट के निर्देश पर सीजेएम ने इस साल सात फरवरी को 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए। न्यायालय के आदेश के बाद 18 फरवरी को दफा 302 के तहत दर्ज इस मुकदमे में लखनऊ के गाजीपुर व गुडम्बा और चंदौली के धीना थाने के थाना प्रभारियों सहित अन्य पुलिसकर्मियों को नामजद किया गया।

आश्चर्य की बात यह थी कि मुकदमा दर्ज किए जाने की सूचना कुछ दिन पहले ही स्थानीय कोर्ट को दी गई जबकि सीआरपीसी की धारा 157 में प्राविधान है कि हत्या व अन्य जघन्य मामलों में एफआईआर दर्ज करने की सूचना तत्काल कोर्ट को दी जानी चाहिए। डा.लेनिन का आरोप है कि ऐसा पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए किया जा रहा है। अब इस मामले की शिकायत उच्चधिकारियों से की गई है। फिलहाल मामले की जाँच थाना सकलडीहा के एसओ से कराई जा रही है।

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