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दरारें ही दरारें

इधर पता चला है कि मैट्रो के एकाध नहीं, कई पिलर ऐसे हैं, जिनमें दरारें हैं। मैट्रो के तो एक पिलर की दरार ही इतनी भारी पड़ गयी थी, अब इतनों में दरारें आ गयी हैं तो क्या होगा? पर डरने की जरूरत नहीं है,...

दरारें ही दरारें
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 06 Aug 2009 09:28 PM
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इधर पता चला है कि मैट्रो के एकाध नहीं, कई पिलर ऐसे हैं, जिनमें दरारें हैं। मैट्रो के तो एक पिलर की दरार ही इतनी भारी पड़ गयी थी, अब इतनों में दरारें आ गयी हैं तो क्या होगा? पर डरने की जरूरत नहीं है, पंगा यह है कि इधर सब तरफ दरारें बढ़ रही हैं। अब तो कांग्रेस पार्टी और उसकी सरकार के बीच भी दरार आ गयी बताते हैं। असल में दरार के लिए तो जरा सी असावधानी ही काफी होती है। सावधानी हटी नहीं कि दरार चली आती है। मौका देखा नहीं कि चली आई। शर्म-अल-शेख में प्रधानमंत्री ने कोशिश तो की थी भारत और पाकिस्तान के बीच की भारी दरारों को पाटने की। वह तो हुआ नहीं। उल्टे अपने यहां दरार डाल ली। जानकार मानते हैं कि मैटिरियल अच्छा न हो या डिजाइनिंग अच्छी न हो तो दरार आ ही जाती है। यहां भी बताते हैं कि साझा बयान की ड्राफ्टिंग में गड़बड़ हुयी।

खैर, विपक्षवालों ने संयुक्त वक्तव्य में बलुचिस्तान देखा तो हल्ला मचा दिया। यह वैसे ही दिख रहा था जैसे दूध में पड़ी मक्खी दिख जाती है या खाने में काक्रोच या आजकल मैट्रो के पिलरों में दरार। चिल्ला-चिल्लाकर बताने लगे कि प्रधानमंत्री ने बड़े खतरे का काम कर डाला।

प्रधानमंत्री, श्रीधरनजी की तरह देशवासियों का डर दूर करने की कोशिश कर रहे हैं कि खतरे की कोई बात नहीं। पर जितनी बार यह बात कह रहे हैं उतनी बार यह बात बिगड़ रही है। वैसे भी भारत-पाकिस्तान के बीच की दरारों के तो हम आदी हैं। बीच-बीच में हम तो उन्हें पाटने की कोशिश करते रहते हैं, पर वे बढ़ती रहती हैं। पर हमें इस तरह की दरारों की आदत नहीं, जिस तरह की विपक्ष दिखा रहा है। वैसे भी यह ऐसा वक्तव्य रहा जिसने कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी और सरकार में भी दरार डाल दी।

भाजपा में तो पहले ही इतनी दरारें थी। बल्कि उन दरारों को तो नाम भी दिया जा सकता है-जसवंतसिंह वाली दरार, यशवंत सिन्हा वाली, अरुण जेटली वाली दरार। आडवाणीजी और राजनाथ सिंह का यही पता नहीं चलता कि वे दरार पैदा करते हैं कि पाटते हैं। इधर से देखो तो लगता है कि दरार पैदा कर रहे हैं, उधर से देखो तो लगता है कि दरार पाट रहे हैं। ऊपर से लोग भाजपा और आरएसएस में दरारें और दिखाते रहते हैं।

इसे छोड़ दें तो न तो मैट्रो के पिलरों में आयी दरार ठीक है, न कांग्रेस पार्टी और उसकी सरकार में आयी दरार। प्रधानमंत्री और सोनियाजी के बीच आयी दरार तो और खतरनाक है।

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