चंद सदाबहार सेक्टर एचआर, होटल मैनेजमेंट और इंटरनेशनल लॉ
उदारीकरण के गत एक दशक में कुछ ऐसे करियर उभरकर सामने आए हैं, जो लीक से हटकर भी हैं और कंपनियों तथा कामगारों के लिए बेहद उपयोगी भी। सच कहें तो ये सभी सेक्टर एवरग्रीन हैं। नए जमाने के नए जॉब सेक्टरों के...
उदारीकरण के गत एक दशक में कुछ ऐसे करियर उभरकर सामने आए हैं, जो लीक से हटकर भी हैं और कंपनियों तथा कामगारों के लिए बेहद उपयोगी भी। सच कहें तो ये सभी सेक्टर एवरग्रीन हैं। नए जमाने के नए जॉब सेक्टरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं अनुराग मिश्र
अगर आपमें किसी भी परिस्थिति में सहजता से काम करने की क्षमता है, लोगों को साथ ले चलने की काबीलियत है, किसी के मानसिक हुनर के साथ उसके व्यक्तित्व को भांप लेने का हुनर है, तो हृयूमन रिसोर्स का करियर आपके लिए है। करियर की दृष्टि से देखा जाए, तो इस युग में तकनीक को प्रमुखता दी जा रही है, ऐसी नीतियां बनाई जा रही हैं, जो अधिक वैज्ञानिक हों। प्रतियोगिता भी इस दौर में कुछ ज्यादा ही है। ऐसे में बाजार में अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए कंपनियों का गुणवत्ता पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो गया है।
ऐसे दौर में एचआर की भूमिका किसी कंपनी के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाती है या अगर कहा जाए कि किसी कंपनी के लिए पूंजी और जमीन के साथ तीसरी सबसे कीमती संपत्ति मानव संसाधन होता है, तो गलत न होगा। कारण ये है कि कर्मचारी मिलकर ही एक कंपनी के प्रोडक्ट का निर्माण करते हैं। अगर मानव पक्ष से जुड़ी इन चीजों का सही से प्रबंधन किया जए, तो कंपनी के उत्पाद और उत्पादन क्षमता पर काफी फर्क पड़ता है।
कार्यक्षेत्र
मानव संसाधन के कार्य को मुख्यत: दो क्षेत्रों में बांटकर देखा जा सकता है, रिसोर्सिंग और जर्नलिस्टिक। रिसोर्सिंग में एचआर अधिकारी कंपनी के प्रोफाइल के मुताबिक बेहतर पोटेंशियल वाले व्यक्ति का चयन करता है। जर्नलिस्टिक कार्यो में एचआर एडमिनिस्ट्रेशन, सेलेरी, ट्रेनिंग, डेवलपमेंट और कैंडिडेट की जरूरतों पर ध्यान देते हैं। कर्मचारियों को उनकी पर्सनेलिटी, प्रोफेशनल अनुभव और टेंपर के आधार पर एचआर उनके काम का निर्धारण करता है। एचआर कर्मचारियों के काम का आकलन करता है और उसके अनुसार वह उनके वेतन में बढ़ोतरी, प्रमोशन, इंसेटिव आदि देता है।
ये हैं एचआर बनने के लिए जरूरी
बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स एचआर कर्मी के लिए बेहद जरूरी हैं। फैसले लेने में आप सक्षम हों, केवल यह काफी नहीं, विपरीत परिस्थितियों में आपकी जल्द और सही फैसले लेने की क्षमता बोनस प्वाइंट साबित होगी। आपकी तार्किक क्षमता अच्छी होनी चाहिए ताकि आप किसी बात के हर पहलू को समझ सकने में सक्षम हों।
योग्यता
एचआर में अंडरग्रेजुएट और ग्रेजुएट स्तर पर मैनेजमेंट कोर्स उपलब्ध हैं। हालांकि इस स्तर क्षेत्र में आपको पीजी स्तर पर जॉब के अवसर अधिक बनेंगे। एचआर में एमबीए करने के लिए किसी भी संकाय से स्नातक उत्तीर्ण होना चाहिए या फिर आपके पास बीबीए की डिग्री होनी चाहिए। कैट, मैट, यूपीटीयू की परीक्षाएं समय-समय पर होती रहती हैं, जिसको पास करके आप किसी बेहतर बी-स्कूल में दाखिला ले सकते हैं और एचआर में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं।
अवसरों का तांता
एचआर के क्षेत्र में मौकों की कमी नहीं है। प्राइवेट और पब्लिक दोनों सेक्टरों में संभावनाएं मौजूद हैं। ऑटोमोबाइल, टेलीकम्युनिकेशन, स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स, फर्टिलाइजर, सॉ़फ्टवेयर, बैंकिंग, फाइनेंस, सीमेंट, ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों में एचआर की बेहद दरकार है।
करियर है मेहमाननवाजी में - होटल मैनेजमेंट
आंकड़ों की जुबानी : एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक 2010 में होटल इंडस्ट्री सुनहरे दौर से गुजरेगी। इसकी वाजिब वजह भी दिखती है क्योंकि 2010 में राष्ट्रमंडल खेल एवं क्रिकेट वर्ल्ड कप भारत में होना है। इन आयोजनों के दौरान लगभग एक करोड़ विदेशी पर्यटकों के भारत आने की संभावना है।
ऐसे में उनके रहने के लिए अतिरिक्त होटलों की जरूरत होगी और जब होटल बनेंगे तो वहां कर्मचारी भी नियुक्त होंगे। एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार 2010 तक 600 नये होटल खुलेंगे तो जाहिर है लाखों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। राजधानी दिल्ली स्थित एलबीआईआईएचएम के डायरेक्टर कमल कुमार का कहना है कि किसी भी देश का बुनियादी ढांचा कैसा है, इसका पता वहां के होटल देते हैं। होटल इंडस्ट्री का सीधा रिश्ता पर्यटन से है और आज हर देश पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है। बड़ी तेजी से औद्योगिक विकास हो रहा है। नतीजतन, होटल इंडस्ट्री भी तेजी से बढ़ रही है। होटल इंडस्ट्री के विस्तार से इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में भी बढ़ोतरी हुई है।
विविधता
इस इंडस्ट्री में कई कुशलताओं का समावेश होता है, जैसे मैनेजमेंट, फूड एंड बेवरेज सíवस, हाउस कीपिंग, कुकरी, फ्रंट ऑफिस ऑपरेशन, सेल्स एंड मार्केटिंग, अकाउंट्स इत्यादि। जो लोग इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए न तो संबंधित पाठ्यक्रमों की कमी है और न ही रोजगार के अवसरों की।
योग्यता
किसी भी संकाय से 12वीं पास विद्यार्थी होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा या डिग्री हासिल कर सकते हैं, लेकिन आप अगर ग्रेजुएशन के बाद होटल व्यवसाय में करियर तलाश रहे हैं तो उनके लिए भी अब रास्ते खुल गए हैं। एमएससी इन होटल मैनेजमेंट और पीजी डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट की डिग्री हासिल कर अपने करियर को उंचाई दे सकते हैं। अधिकतर संस्थान ऑल इंडिया एडमिशन टेस्ट एंव इंटरव्यू द्वारा ही विद्याíथयों का चयन करते हैं। आपकी बुद्धिक्षमता, सामान्य ज्ञान, सामान्य विज्ञान और अंग्रेजी की क्षमता को जंचा जाता है।
कोर्स
होटल मैनेजमेंट में दो तरह के पाठयक्रम उपलब्ध हैं। 12वीं के बाद बीए इन होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, बैचलर डिग्री इन होटल मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन होटल एंड कैटरिंग मैनेजमेंट, बैचलर डिग्री इन हॉस्पिटैलिटी साइंस, बीएससी होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग साइंस। इन कोर्सेज की अवधि 6 महीने से 3 साल तक है।
तो कुछ कालेजों में इन दिनों किसी भी संकाय में ग्रेजुएट पीजी डिप्लोमा इन होटल मैनेजमेंट, एमएससी इन होटल मैनेजमेंट और एमए इन होटल मैनेजमेंट कोर्स कर सकते हैं। इसकी अवधि है 2 साल। साथ ही नई दिल्ली, मुबंई और बैंगलुरु स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एंव अप्लाइड न्यूट्रीशन संस्थान में विभिन्न स्पेशलाइज्ड कोर्सेज भी हैं।
इन कोर्सेज की अवधि छह महीने से एक साल के बीच होती है। इन कोर्सेज के नाम हैं-फूड प्रोडक्शन मैनेजमेंट, डाएटिक्स एंड न्यूट्रीशन, हाउस कीपिंग, फ्रंट ऑफिस एंड टूरिज्म मैनेजमेंट इत्यादि। एलबीआईआईएचएम के डायरेक्टर कमल कुमार के मुताबिक पहले लोग सीढ़ी दर सीढ़ी प्रमोशन पाते थे, शुरुआत अपरेंटिसशिप और कैटरिंग से होती थी, लेकिन एमएससी इन होटल मैनेजमेंट कोर्स कर छात्र डायरेक्ट मैनेजर की कुर्सी पर विराजमान हो जाते हैं।
संस्थान
- इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलॉजी एंड अप्लायड न्यूट्रीशन, लाइब्रेरी एवेन्यू, पूसा, नई दिल्ली
- इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलॉजी एंड अप्लायड न्यूट्रीशन, बैंगलुरु,
- इंस्टीट्यूट आफ होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलॉजी एंड अप्लायड न्यूट्रीशन, मुंबई
- एलबीआईआईएचएम, बी-98, पुष्पांजलि इंक्लेव, पीतमपुरा, दिल्ली-34
इन संस्थानों में फिलवक्त एमएससी इन होटल मैनेजमेंट कराया जा रहा है।
रूरल मैनेजमेंट और इंटरनेशनल लॉ
रूरल मैनेंजमेंट में मानवीय मुद्दों की समझ बढ़ाने की कोशिश की जाती है। इस विषय के अंतर्गत छात्रों को ग्रामीण विकास की आवश्यक स्थितियों और मैनेजमेंट सिद्धांत के आपसी तालमेल से काम करना सिखाया जाता है। इसमें मॉडर्न मैनेजमेंट साइंस और तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है। लोगों द्वारा बनाए गए संगठनों को मजबूत करना, मानव संसाधन के प्रभावी उपयोग हेतु ग्रामीण कारीगरों और कला का व्यावसायिकता के लिहाज से विकास करना भी सिखाया जाता है।
जे. के बिजनेस स्कूल की डाइरेक्टर जनरल डा. रीना रामचंद्रन का कहना है इस कोर्स के छात्रों को तकनीक की सहायता से ग्रामीण सच्चइयों को प्रभावित करने वाले घटकों की पहचान करने में महारत हासिल होती है। रूरल मैनेजमेंट का कोर्स मैनेजमेंट संस्थानों में उपलब्ध है। इसके पीजी स्तर के कोर्स के लिए स्नातक और अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए बारहवीं पास होना आवश्यक है। रूरल मैनेजमेंट में लगे विभिन्न सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों में पीजीपीआरएम के छात्रों के लिए काफी अवसर मौजूद हैं। अब कई कॉरपोरेट कंपनियां अपना व्यवसाय ग्रामीण क्षेत्रों में फैला रही हैं। इनमें भी रूरल डेवलपमेंट कोर्स कर चुके छात्रों के जरूरत होती है।
संस्थान
-इंस्टीटच्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, गुजरात
- इंडियन इंस्टीटच्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट, जयपुर
- इग्नू, नई दिल्ली
- जेवियर्स इंस्टीटच्यूट ऑफ मैनेजमेंट, भुवनेश्वर
- गांधीग्राम रूरल इंस्टीटच्यूट, गांधीग्राम
बढ़ रही है इंटरनेशनल लॉ की मांग
एक दौर था जब बड़ी कंपनियां ही इंटरनेशल बिजनेस में शामिल हुआ करती थीं, लेकिन उदारीकरण की बयार ने उद्योग की दशा और दिशा को पूरी तरह से बदल डाला। आज के दौर में छोटी-छोटी कंपनियों का व्यापार बाहरी मुल्कों से हैं। कई कानूनी फर्म अपनी विशेषज्ञ सेवाएं दे रही हैं।
कानूनी फर्म के लिए यह अनिवार्य हो चुका है कि उनके यहां ऐसे वकीलों की टीम होनी चाहिए, जो अंतरराष्ट्रीय कानून की समझ रखते हों जिसकी वजह से इंटरनेशल वकीलों की मांग में ईजाफा हुआ है। वकीलों की मांग बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि कंपनियां अपने कारोबार को विस्तार दे रही हैं। दूसरे मुल्क में व्यापार करने के लिए या किसी कंपनी से अनुबंध करने के दौरान किसी भी कानूनी उलझन, उस मुल्क के नियमों के अनुसार डील जैसे मसलों को सुलझाने के लिहाज से इंटरनेशन वकीलों की मांग बढ़ी है।
बढ़ रहा है स्कोप
हालांकि इंटरनेशल लॉ का स्कोप भारत में सीमित है, लेकिन चीन और भारत जसे मुल्क ही इन कानूनों को डेवलप करने में खासे मददगार साबित हो रहे हैं। इस दौर में सिक्योरिटी और ट्रांजेक्शन, डब्लयूटीओ लॉ, साइबर लॉ जैसे मामलों के जानकारों की मांग तेजी से बढ़ी है।
शोहरत के साथ पैसा भी
इस पेशे में आपको विभिन्न संस्कृतियों के लोगों से जुड़ाव का मौका मिलता है, तो विभिन्न कानूनी सिस्टमों को समझने का अनुभव भी प्राप्त होता है। इस पेशे में पैसे की भी कमी नहीं।