फोटो गैलरी

Hindi Newsज़हर की जांच

ज़हर की जांच

खिलाड़ियों के प्रतिबंधित दवाओं के इस्तेमाल के बारे में ‘वाडा’ के नए नियम को मानने से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इनकार कर दिया है। इससे एक ओर उसने आईसीसी से टकराव मोल लिया है, दूसरी...

ज़हर की जांच
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 03 Aug 2009 09:21 PM
ऐप पर पढ़ें

खिलाड़ियों के प्रतिबंधित दवाओं के इस्तेमाल के बारे में ‘वाडा’ के नए नियम को मानने से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इनकार कर दिया है। इससे एक ओर उसने आईसीसी से टकराव मोल लिया है, दूसरी ओर भारत का खेल मंत्रालय भी इससे खुश नहीं है। खेल मंत्री एम.एस. गिल ने कहा है कि बीसीसीआई को खेल में दवाओं का इस्तेमाल रोकने की ‘वाडा’ की कोशिशों का समर्थन करना चाहिए। आईसीसी के लिए समस्या यह होगी कि वह एक बोर्ड के इनकार से कैसे निपटे, खासतौर पर जब वह भारतीय क्रिकेट बोर्ड जैसा अमीर और शक्तिशाली बोर्ड हो। खेल मंत्रालय भी यह नहीं चाहता कि कोई भारतीय खेल संस्थान दवाओं पर प्रतिबंध जैसे मामले में टांग अड़ाता दिखे। भारतीय खिलाड़ियों की आपत्ति नए नियम में ‘ह्वेयरअबाउट’ धारा के बारे में है, जिसके मुताबिक खिलाड़ी को अगले तीन महीने तक रोज एक घंटा वह कहां उपलब्ध होगा, इसकी जानकारी देनी होगी, ताकि किसी भी दिन बिना पूर्व सूचना के प्रतिबंधित दवा की जांच की जा सके। ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि यह देखा गया है कि आजकल खिलाड़ी प्रतियोगिता से इतर समय दवाओं का इस्तेमाल करते हैं और नई ‘डिजाइनर’ दवाएं ऐसी भी हैं, जो चौबीस से अड़तालीस घंटों में शरीर से बाहर हो जाती हैं और पकड़ में नहीं आतीं। इसीलिए ‘वाडा’ ने बीसीसीआई का यह प्रस्ताव नहीं माना है, जिसमें बीसीसीआई ने कहा है कि वह कभी भी चौबीस घंटे के अंदर खिलाड़ी को जांच के लिए पेश करने को तैयार हैं।

खिलाड़ियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और प्राइवेसी का तर्क अपनी जगह ठीक है, लेकिन बीसीसीआई को इस मुद्दे पर टकराव की जगह आपसी सहमति का कोई रास्ता ढूंढना चाहिए। एक तो खेलों में नशीले पदार्थो का मामला इतना गंभीर हो गया है कि भले ही थोड़ा कष्ट ही क्यों न हो ‘वाडा’ का सहयोग करना जरूरी है। दूसरे, अभी क्रिकेट में नशीली दवाओं का इस्तेमाल बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन लापरवाही बरती गई तो यह गंभीर हो सकती है। यह समस्या गंभीर हो और खेल की विश्वसनीयता ही खतरे में पड़ जाए, उससे पहले ही इसे रोकना चाहिए। अपने खिलाड़ियों का साथ देकर बीसीसीआई ने कुछ गलत नहीं किया लेकिन अब उसे अड़ने की बजाय कोई सर्वमान्य हल निकालने की सोचनी चाहिए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें
अगला लेख पढ़ें