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एफबीटी की विदाई के बाद ‘सेलरी री-स्ट्रक्चरिंग’

संसद में हाल में पारित फाइनेंस (नं. 2) बिल, 2009 द्वारा समाप्त किए गए ¨फ्रिज बेनेफिट टैक्स से संबद्ध प्रावधानों के बाद विशेष रूप से वेतन आय पर टैक्स के मामले में पूरी तरह से परिदृश्य बदल चुका है।...

एफबीटी की विदाई के बाद ‘सेलरी री-स्ट्रक्चरिंग’
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 31 Jul 2009 10:45 PM
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संसद में हाल में पारित फाइनेंस (नं. 2) बिल, 2009 द्वारा समाप्त किए गए ¨फ्रिज बेनेफिट टैक्स से संबद्ध प्रावधानों के बाद विशेष रूप से वेतन आय पर टैक्स के मामले में पूरी तरह से परिदृश्य बदल चुका है। यह सत्य है कि वित्तीय वर्ष 2009-10 से ¨फ्रिज बेनेफिट टैक्स के प्रावधान पूरी तरह से समाप्त हो चुके हैं। फ्रिज बेनेफिट टैक्स के प्रावधानों के खत्म हो जाने के बाद अब वेतनभोगी कर्मचारियों को अपने नियोक्ता के साथ परामर्श कर अपने वेतन पैकेज का पुनर्गठन करना चाहिए, एफबीटी के खत्म होने के बाद अब समय है वेतन और भत्तों पर टैक्स से जुड़े प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए कर्मचारियों के वेतन एवं भत्तों को सावधानी के साथ प्लान किया जाए।

कर्मचारी के कंधे पर चढ़ा टैक्स भार
एफबीटी के दौर में ज्यादातर मामलों में कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न भत्तों या अनुलाभों में नियोक्ता को ¨फ्रिज बेनेफिट के रूप में दिए गए लाभों के संबंध में अनुमानत: 7 प्रतिशत एफबीटी का भुगतान करना पड़ता था। अब एफबीटी को पूरी तरह खत्म किया जा चुका है। इसलिए ज्यादातर मामलों में ऐसे लाभों की गणना कर्मचारी की वेतन आय में जोड़ कर की जाएगी तथा कर्मचारी को अपनी आय में जोड़े गए ऐसे लाभों और भत्तों पर आयकर का भुगतान करना होगा। बहरहाल, आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों साथ ही आयकर नियम, 1962 में निहित प्रावधानों का गहन अध्ययन बताता है कि कुछ ऐसे विकल्प भी वेतन भोगी कर्मचारियों को उपलब्ध हैं जहां वेतनभोगी कर्मचारी की टैक्स प्ला¨नग प्रभावित हो सकती है। चाहे नियोक्ता द्वारा एफबीटी देय न भी हो।

जरूरत है एक वेतन पैकेज की
कर्मचारी के लिए एक डिजाइन वेतन पैकेज तैयार करते हुए सबसे पहले यह महत्वपूर्ण बात ध्यान में रखी जाए कि कर्मचारी को या तो एक किराया रहित आवास दिया जाए या एकमुश्त मकान किराया भत्ता। इस बारे में प्रावधान पहले की ही तरह है तथा टैक्स की देनदारी भी पहले की तरह कर्मचारी की ही बनती है। एफबीटी रहित इस दौर में भी किराया रहित आवास या मकान किराया भत्ते के रूप में मिलने वाले लाभ पर टैक्स के मामले में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। बहरहाल, जब कभी भी किसी कर्मचारी के लिए वेतन पैकेज तैयार किया जाए तो यह ध्यान में रखा जाए कि कर्मचारी को या तो एकमुश्त मकान किराया भत्ता दिया जाए या किराया रहित आवास मुहैया कराया जाए।

सबसे पहले ट्रांसपोर्ट का खर्च
पहले कदम के रूप में हर कर्मचारी को एक साधारण भत्ते के रूप में ट्रांसपोर्ट भत्ता दिया जाना चाहिए जो 800 रु. प्रतिमाह तक टैक्स से मुक्त है। यह भत्ता कर्मचारी को घर से आफिस और आफिस से घर जाने के लिए दिया जाता है। 800 रु. से ज्यादा राशि वाला ट्रांसपोर्ट भत्ता कर्मचारी के वेतन में जोड़ दिया जाएगा।

नियम 2 बीबी में दिये हैं कई नगीने
नियम 2 बीबी के अनुसार कई ऐसे विभिन्न विशेष प्रतिपूíत तथा अन्य विशेष भत्ते हैं जो टैक्स से मुक्त हैं। इनकी पूरी सूची नियम 2 बीबी में निहित है, लेकिन व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो ये मुख्य रूप से सेना के लोगों के लिए लागू हैं। अन्य वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए इस समय अधिकतम दो बच्चों तक 100 रुपये प्रतिमाह प्रत्येक बच्चे का चिल्ड्रन एजुकेशन एलाउंस भी दूर देता है।

इसी तरह, यदि बच्चा किसी होस्टल में है तथा कर्मचारी को बच्चे के होस्टल खर्च को वहन करने के लिए होस्टल एलाउंस दिया जाता है, वह अधिकतम दो बच्चों तक 300 रु. प्रति माह प्रत्येक बच्चे के लिए टैक्स से छूट योग्य है। इन छोटे भत्तों के अलावा कथित नियम 2 बीबी में एक विशेष प्रावधान भी है जिससे यात्रा या ट्रांसफर पर होने वाले खर्च की पूíत पर मिलने वाला भत्ता पूरी तरह से आयकर मुक्त है।

इसी प्रकार यात्रा या कर्मचारी के ट्रांसफर के सिलसिले में होने वाली यात्रा के उद्देश्य से सामान्य कार्यालय स्थल से अनुपस्थित रहने के लिए कर्मचारी के द्वारा किए गए खर्च के रूप में साधारण दैनिक खर्च की पूíत के लिए दिए गए भत्ते भी छूट के दायरे में आते हैं। इसी तरह से कार्यालय के कर्तव्यों का निर्वाह करने के उद्देश्य से कन्वेंस एलाउंस के रूप में कर्मचारी को मिलने वाले किसी भी भत्ते को कथित नियम 2 बीबी के नियमों में वेतनभोगी कर्मचारी को कन्वेयेंस एलाउंस दिया जाए। यह ध्यान रखा जाए कि नियोक्ता द्वारा किसी भी तरह का फ्री कन्वेयेंस न मुहैया कराया जाता हो। यदि नियोक्ता द्वारा नियुक्त कन्वेयेंस उपलब्ध कराया जाता है तो उस स्थिति में कन्वेयेंस एलाउंस छूट का हकदार नहीं होगा।

हैल्पर भी बचाता है टैक्स
कुछ अन्य महत्वपूर्ण भत्ते भी हैं जो वेतनभोगी की टैक्स देनदारी को नहीं बढ़ाते जैसे कर्मचारी को प्रदान कराए गए हैल्पर के रूप में विशेष रूप से तब जब हैल्पर आधिकारिक कर्तव्यों को निभाने के उद्देश्य से नियुक्त किया गया हो।

शैक्षिक, शोध एवं प्रशिक्षण भत्ता भी टैक्स फ्री
यदि कर्मचारी को शैक्षिक, शोध तथा प्रशिक्षण हासिल करने वाला भत्ता मिलता है तो उस स्थिति में शैक्षिक तथा शोध संस्थानों में खर्च किये ऐसे भत्ते आयकर मुक्त होंगे।

यूनिफॉर्म का खर्च बचाए टैक्स
कर्मचारी के वेतन/कटते समय की गणना कार्य पर आने वाले कर्मचारी को कार्य करने के लिए दिया जाने वाला यूनिफॉर्म एलाउंस भी पूरी तरह से टैक्स फ्री है और इसकी कोई अधिकतम सीमा भी नहीं है। यूनिफॉर्म एलाउंस के बारे में दिया जाने वाला पैसा आधिकारिक तौर पर कार्य करने के दौरान उसे पहनने के लिए खरीदने या उसकी मेंटेनेंस के लिए इस्तेमाल होना चाहिए। उपरोक्त भत्ते एफबीटी के खातों के बाद बदले परिदृश्य के अनुसार वेतन पैकेज के पुनर्गठन के लिए प्रबंधन की रणनीति का हिस्सा होने चाहिए।

मैग्जीन और किताबों का भत्ता
कर्मचारी को आधिकारिक इस्तेमाल के लिए पत्रिकाओं और किताबों इत्यादि के संबंध में मिलने वाली प्रतिपूर्ति भी दी जा सकती है। जब कभी कर्मचारियों को इस तरह के भत्ते दिए जाएं तो यह सुनिश्चित करें कि नियम 2 बीबी के तहत वेतनभोगियों को दिए जाने वाले ये भत्ते टैक्स मुक्त हों। इसीलिए कथित नियम 2 बीबी में लिखे हए भत्तों में कोई भत्ता शामिल नहीं है तो वह कर्मचारी को दिए जाने पर पूरी तरह से करयोग्य होगा।

चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति
कर्मचारी को प्रतिवर्ष 15,000 रुपए तक किए गए चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति भी दी जा सकती है। चूंकि यह वेतन आय में शामिल नहीं है। इसी तरह से नियोक्ता द्वारा ली गई कोई भी मेडिक्लेम पॉलिसी की लागत भी वेतन आय में नहीं जोड़ी जाती।

अवकाश यात्रा सहायता
कर्मचारी को चार कैलेंडर वर्ष के ब्लॉक में दो बार भारत के किसी भी हिस्से में यात्रा के लिए अवकाश यात्रा सहायता भी दी जा सकती है। यह ध्यान रखा जाए कि उसे चिकित्सा भत्ता या लीव ट्रैवल एलाउंस (एलटीए) न मिलें क्योंकि ऐसे भत्ते के रूप में मिलने वाली राशि कर्मचारी की आय के रूप में टैक्सेबल है तथा कर्मचारी को केवल प्रतिपूर्ति लेनी चाहिए, भत्ता नहीं। चिकित्सा व्यय और अवकाश यात्रा के मामले में इसका विशेष ध्यान रखा जाए।

अगर कर्मचारी को मिली हो कार
जब कभी भी वेतनभोगी कर्मचारी को कार दी जाती है तो अनुलाभ के रूप में टैक्स के रूप में विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी। एफबीटी के समय में आयकर कानून में पूर्व प्रावधान के अधीन यदि व्यक्तिगत प्रयोग के लिए विशेष रूप से कार दी गई है तो उसका पूरा खर्च एफबीटी के दायरे में होता था तथा उसे कर्मचारी पर टैक्स के लिए प्रयुक्त नहीं किया जाता था।

बहरहाल, अब मोटरकार के रूप में अनुलाभ की गणना आयकर नियम, 1962 के नियम 3 में लिखे प्रावधानों के अनुरूप होगी। यदि कार आधिकारिक कार्यो के उद्देश्य से विशेष रूप से प्रयोग की जती है तो वेतन में कोई अनुलाभ नहीं जोड़ा जएगा, लेकिन इसके लिए पूर्ण विवरण भी मुहैया कराने होंगे जसे आधिकारिक यात्रा का उद्देश्य, यात्रा की तिथि, दूरी, माइलेज तथा खर्च। बहरहाल, यदि कार आधिकारिक प्रयोग के लिए साथ ही साथ व्यक्तिगत प्रयोग के लिए भी है तो उस स्थिति में अनुलाभ की गणना 1200 रु. प्रतिमाह होगी। यदि कार इंजिन की क्यूबिक क्षमता 1.6 लीटर से ज्यादा न हो और यदि यह 1.6 लीटर से ज्यादा है तो अनुलाभ लागत की गणना 1600 रुपये होगी।

यदि कार्यालय तथा निजी प्रयोग के लिए कार चलाने के लिए ड्राइवर भी दिया जाता है तो उस स्थिति में वेतन आय में 600 रु. प्रति माह की राशि जोड़ी जाएगी। यदि ड्राइवर केवल आधिकारिक प्रयोग के लिए है तो किसी प्रकार के अनुलाभ लागत की गणना नहीं की जाएगी।

और अंत में
आमतौर पर यह याद रखें कि कार्यालय के लिए किए गए खर्च की कोई भी प्रतिपूर्ति नई संकल्पना के तहत अनुलाभ नहीं मानी जाएगी। बहरहाल, सफाई वाला, माली, चौकीदार पर किया गया वास्तविक खर्च और साथ ही साथ गैस, बिजली, पानी का शुल्क इत्यादि कर्मचारी के मामले में अब पूरी तरह से टैक्स योग्य होगा। कार्यालय में कर्मचारी को दिया गया मुफ्त भोजन अनुलाभ नहीं होगा। यदि वह कार्यालय या बिजनेस परिसर में कार्यालय समय के दौरान दिया गया हो, लेकिन भोजन के वाउचर इत्यादि केवल 50 रुपये तक के भोजन पर ही छूट योग्य होंगे।

इसी तरह से 5000 रु. प्रतिवर्ष तक के गिफ्ट वाउचर या गिफ्ट टैक्स फ्री होंगे तथा शेष राशि को वेतन आय में जोड़ दिया जएगा। अब नियोक्ता से मिले फ्री शेयर भी अनुलाभ के रूप में टैक्स योग्य होंगे तथा इसी तरह 1 लाख रुपये से ज्यादा राशि का सुपर एनुएशन कंट्रीब्यूशन भी एक अनुलाभ होगा। अन्य फ्रिंज बेनेफिट भी टैक्सेबल होंगे। चूंकि सरकार समय-समय पर अनुलाभों की घोषणा करती रहती है।

टैक्स फ्री भत्तों पर करें फोकस
महत्वपूर्ण बात यह है कि वेतन पैकेज का पुनर्गठन करते हुए कर्मचारी को दिए जाने वाले विभिन्न टैक्स फ्री भत्तों पर गंभीरता से गौर किया जाए। इससे पूर्व इनमें से कुछ भत्तों पर एफबीटी लागू था, लेकिन अब यदि इसे हम सही तरीके से प्लान करें तो ये हम यह पाएंगे कि ज्यादातर मामलों में ये भत्ते कर्मचारी को दिए जा सकते हैं, वह भी कर्मचारी की टैक्स देनदारी को बढ़ाए बिना। टैक्स से मुक्त भत्तों का उल्लेख करने से पहले यहां आयकर कानून तथा विशेष रूप से आयकर अधिनियम की धारा 10 (14) के अनुसार दिए गए प्रावधानों के अधीन यह याद रखना होगा कि वेतनभोगी को कार्यालय के कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए, अनिवार्य रूप से तथा विशेष प्रकार से किए गए खर्चो की पूíत करने के लिए वेतनभोगी को दिए जाने वाले विशेष भत्ते आयकर भुगतान के मामले से मुक्त हैं।

बहरहाल, आयकर अधिनियम 1961 में निहित कथित धारा में इन छूट वाले भत्तों की सूची नहीं है। बहरहाल आयकर नियम, 1962 नियम 2 बीबी में इन छूट वाले भत्तों की सूची निहित है। इसीलिए कर्मचारी के वेतन पैकेज के पुनर्गठन के समय यह ध्यान रखा जाए कि कथित नियम 2 बीबी के अनुसार उसे ज्यादा से ज्यादा टैक्स फ्री भत्ते दिए जाएं।

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