फोटो गैलरी

Hindi Newsजिले में तीस फीसदी डोनेटेड ब्लड हो जा रहे हैं रिजेक्ट

जिले में तीस फीसदी डोनेटेड ब्लड हो जा रहे हैं रिजेक्ट

जिले के सरकारी ब्लड बैंक सूखते जा रहे हैं। एक तो सरकारी संसाधन का घोर अभाव और दूसरा देने वाले नशेड़ी और बीमार। कुल मिलाकर हाल यह है कि किसी इमरजेंसी में शायद आपको जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के ब्लड...

जिले में तीस फीसदी डोनेटेड ब्लड हो जा रहे हैं रिजेक्ट
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Jul 2009 10:47 PM
ऐप पर पढ़ें

जिले के सरकारी ब्लड बैंक सूखते जा रहे हैं। एक तो सरकारी संसाधन का घोर अभाव और दूसरा देने वाले नशेड़ी और बीमार। कुल मिलाकर हाल यह है कि किसी इमरजेंसी में शायद आपको जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक से मौत से लड़ रहे मरीजों के लिए एक बूंद खून ना मिले।

जिला अस्पताल के अधिकारियों का अपना अलग रोना है । उनका कहना है कि वे इमरजेंसी में ब्लड दे देते हैं लकिन बाद में उसके बदले में जब उन्हें ब्लड मिलता है उसे रिजेक्ट करना पड़ता है। ऐसे में उनके सामने ब्लड की समस्या आ जाती है। जिला अस्पताल में हर महीने पचास से अधिक जरूरतमंद वहां से ब्लड के बिना लौट रहे हैं।

सरधना में सड़क दुर्घटना में घायल मुजफ्फरनगर के राहेल और नंगलामल की गर्भवती सावित्री के परिजन सहित कई लोग इसके पीड़ित है जिन्होंने शासन से इसकी इसकी शिकायत भी की है। इधर, हर महीने दिल्ली और बाहर के स्वयं सेवी संस्था मेरठ में बल्ड डोनेशन कैंप लगाकर यहां का खून वहां ले जा रहे हैं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें