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नए डीजीपी आनंद शंकर को लेकर चर्चाएं आम

पुलिस मुख्यालय की सीढ़ियों से चढ़ता हुआ हर डीजी अपनी छवि साथ लेकर आता है। वह चाहे वर्तमान डीजीपी देवकी नंदन गौतम हों या फिर तीन दिन बाद इस जिम्मेवारी को संभालने वाले आनंद शंकर। सरकार ने सोमवार की रात...

नए डीजीपी आनंद शंकर को लेकर चर्चाएं आम
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 28 Jul 2009 05:58 PM
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पुलिस मुख्यालय की सीढ़ियों से चढ़ता हुआ हर डीजी अपनी छवि साथ लेकर आता है। वह चाहे वर्तमान डीजीपी देवकी नंदन गौतम हों या फिर तीन दिन बाद इस जिम्मेवारी को संभालने वाले आनंद शंकर। सरकार ने सोमवार की रात श्री शंकर के नाम पर अपनी मुहर लगायी और इधर मंलवार की सुबह मुख्यालय में उनका नाम उनकी छवि के साथ हर किसी की जुबां पर तैरने लग गया।

अरदली से लेकर कमरों में बैठे बड़े अफसरों के लिए यह नाम उतना ही मायने रखता है जितना अभी वर्तमान डीजीपी का। मुख्यालय की गलियारों में श्री शंकर की पुरानी यादें अचानक प्रासंगिक हो उठीं। क्या पहनते हैं, क्या खाते हैं। कैसे बोलते हैं और उनका व्यवहार कैसा है।

ऐसी बातें चर्चाएआम रहीं। मजेदार बात यह रही कि वर्तमान डीजीपी डी.एन.गौतम अपने कक्ष में बैठे थे और बाहर नए डीजीपी के मिजाज के अनुकूल ढलने की कोशिशें शुरू हो गयी थीं। रोचक बातें भी खूब। मसलन साहेब(आनंद शंकर) चमड़े का जूता नहीं पहनते हैं। बेल्ट भी जूट वाला ही लगाते हैं। दूसरे ने कहा-अब डीजीपी बनने के बाद हो सकता है पहनें।

एक कर्मी ने अपने सहकर्मी से कहा-जानते हैं भाई साहेब हवाइयो चप्पल पर चल आते हैं। जब आईजी थे तो एक दिन पैदले ऑफिस पहुंच गए रे भाई। दूसरे ने कहा-पूजा-पाठ भी खूब करते हैं जी। तीसरे ने बीच में टोका-देखते न हैं हमेशा लाल टीका(तिलक) लगाते हैं साहेब। पहले ने बीच में टोकते हुए फिर कहा-हं एगो बात जानते हैं कि नहीं? दूसरा-का? पहला-साहेब हाथ भी मिट्टी से ही धोते हैं।

और घर में भी सिपाही अ अरदली से नहीं अपने खुरपी-कुदाल लेके बगवानी करते हैं। तीसरा-बाह!(वाह)। इस बीच काफी देर से सहकर्मियों का मंतव्य सुन रहे एक चौथे कर्मी ने कहा-मन मिजाज भी ठीक है। जादे डांटते-उटते नहीं हैं। एक गो बात और जानते हैं कि नहीं आपलोग? सबने उत्सुकता से पूछा- क्या? धीरे से फुसफुसा के जवाब आया-चैम्बर में मिट्टी का शिवजी भी बना के रखते हैं!

जो जहां था बस एक ही चर्चा। एक ने कहा- पक्का हो गया है। दूसरा-अखबार में आ गया त सचे बात होगा। अइसही थोड़े एतना बड़का-बड़का छप गया। इधर पुलिस मुख्यालय में रोजकर की तरह ही बड़े अधिकारी अपने-अपने कक्ष में बैठे थे। काम-काज अपनी गति चल रहा था। एक अधिकारी ने कहा-नए डीजी साहब 31(जुलाई) को ही चार्ज लेंगे।

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