मीट्रिक प्रणाली से नहीं चलता नासा
निजी अंतरिक्ष एजेंसियों ने नासा पर इस बात के लिए जोरदार प्रहार किए हैं कि उसने अपने शटल-परिवर्तन कार्यक्रम में मीट्रिक प्रणाली की इकाइयों का उपयोग करने की बजाय पुरानी इम्पीरियल प्रणाली का ही उपयोग...
निजी अंतरिक्ष एजेंसियों ने नासा पर इस बात के लिए जोरदार प्रहार किए हैं कि उसने अपने शटल-परिवर्तन कार्यक्रम में मीट्रिक प्रणाली की इकाइयों का उपयोग करने की बजाय पुरानी इम्पीरियल प्रणाली का ही उपयोग जारी रखा है। गौरतलब है कि दुनिया भर में वैज्ञानिकों ने यह निर्णय दशकों पहले कर लिया था कि समस्त वैज्ञानिक काम व रिपोर्टिंग मीट्रिक प्रणाली में होगा।
क्या है मीट्रिक प्रणाली
मीट्रिक प्रणाली का अर्थ उस प्रणाली से है जिसमें दूरी की इकाई मीटर, द्रव्यमान की इकाई किलोग्राम और समय की इकाई सेकंड होती है। अन्य सारी इकाइयां इन्हीं के आधार पर बनाई जाती हैं। इन इकाइयों के मानक भी स्पष्ट रूप से तय किए गए हैं। इस प्रणाली की एक विशेषता यह है कि इसमें इकाई परिवर्तन दाशमिक प्रणाली की मदद से बहुत आसान होता है। दूसरी ओर इम्पीरियल प्रणाली फुट, पाउंड व सेकंड पर टिकी है और इसका उपयोग करते हुए गणनाएं बहुत मुश्किल होती हैं।
इस संदर्भ में लास वेगास स्थित बिजेलो एयरोस्रेस के माइक गोल्ड कहते हैं कि हम (निजी एजेंसियां) तो कोशिश कर रहे हैं कि अंतरिक्ष का वैश्विक बाजार स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। अंतरराष्ट्रीय मीट्रिक प्रणाली का इस्तेमाल इसी का अंग है। उनका कहना है कि दो अलग-अलग मापन प्रणालियां उपयोग करने की वजह से भ्रम पैदा होता है और अतीत में इसका वजह से अंतरिक्ष दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। मसलन, 1999 में इम्पीरियल व मीट्रिक इकाइयों के घालमेल की वजह से नासा का मार्क्स क्लाइमेट ऑर्बाइटर नष्ट हो चुका है।