ब्याज दर घटने की उम्मीद कम
ऋण की कमजोर मांग और बैंकों के पास कर्ज देने के लिए इस समय धन की पर्याप्त उपलब्धता के बीच उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक मंगलवार को अपनी तिमाही नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए...
ऋण की कमजोर मांग और बैंकों के पास कर्ज देने के लिए इस समय धन की पर्याप्त उपलब्धता के बीच उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक मंगलवार को अपनी तिमाही नीतिगत समीक्षा में ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर बनाए रखेगा।
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने समीक्षा से पूर्व पिछले शुक्रवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी से मुलाकात कर स्थिति की समीक्षा की। बैंकिंग क्षेत्र के लोगों का कहना है कि मुद्रास्फीति लगातार शून्य से नीचे बनी हुई है पर आरबीआई द्वारा अपनी नीतिगत ब्याज दरों में कटौती करने का कोई खास कारण इस समय नहीं दिखता क्योंकि बैंकों के पास ऋण देने के लिए पैसों की तंगी नहीं है।
यूको बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसके गोयल ने कहा कि इस समय बैंकिंग प्रणाली के पास पर्याप्त नकदी है। मौजूदा नीति में कोई कटौती किए जाने की संभावना नहीं है फिर भी वे सीआरआर को कम करने की कुछ गुंजाइश रख सकते हैं। इस बार नीति में में आरबीआई की रेपो और रिवर्स रेपो की दर को अपरिवर्तित रखा जा सकता है।
रिजर्व बैंक ने वैश्विक वित्तीय संकट के प्रभावों से निपटने के लिए सीआरआर को घटा कर 5 प्रतिशत और रेपो तथा रिवर्स रेपो को क्रमश: 4.75 और 3.25 प्रतिशत के स्तर पर कर दिया है। पिछले वर्ष के पूर्वार्ध में मुद्रास्फीति से निपटने के लिए सीआरआर और रेपो में भारी वृद्धि कर दी गई थी और गत अक्टूबर में सीआरआर और रपो दरें 9 प्रतिशत तक पहुंच गई थीं।
इस बार की तिमाही समीक्षा रपट में चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार के भीषण ऋण कार्यक्रम को पूरा करने की रूपरेखा प्रस्तुत की जा सकती है। आरबीआई 2009-10 की जीडीपी के बारे में अपने नए अनुमान व्यक्त करने के साथ-साथ मुद्रास्फीति और मौद्रिक और राजकोषीय परिस्थितियों के बारे में अपने संशोधित अनुमान व्यक्त कर सकता है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि 6.0 प्रतिशत, औसत मुद्रास्फीति 4.5 रहने का अनुमान लगाया है।