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शादी का लड्डू खा कर ही पचता ले यार

कुछ साल पहले तक भारतीय शहरी जिंदगी कुछ अलग थी। लोग बहुत से कारणों से शादी किया करते थे। किसी से प्यार हो गया इसलिए शादी कर ली। बुढ़ापे में किसी का सहारा होना चाहिए इसलिए शादी कर ली। खाना पकाने, घर...

शादी का लड्डू खा कर ही पचता ले यार
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 26 Jul 2009 12:02 PM
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कुछ साल पहले तक भारतीय शहरी जिंदगी कुछ अलग थी। लोग बहुत से कारणों से शादी किया करते थे। किसी से प्यार हो गया इसलिए शादी कर ली। बुढ़ापे में किसी का सहारा होना चाहिए इसलिए शादी कर ली। खाना पकाने, घर देखने वाली, देखभाल करने वाली मिल जाए इसलिए शादी कर ली। बच्चों से प्यार है, सो शादी तो करनी ही थी। लेकिन आज समाज बदल रहा है। प्रेम के लिए किसी बंधन में बंधने की अनिवार्यता नहीं रह गई। अच्छा वेतन है, इसलिए सामाजिक सुरक्षा की भी जरूरत नहीं। घर को देखने वाले बहुत से मिल जाते हैं। बच्चों से प्यार है तो उन्हें गोद लिया जा सकता है। इसके बावजूद लोग अब भी शादी जैसी संस्था में भरोसा करते हैं।

घर पर कोई इंतजार कर रहा है
शादी एक भावनात्मक सुरक्षा देती है। हमें यह मालूम होता है कि घर पर कोई है जो हमें हमेशा इस बात का अहसास देगा कि मैं हूं। यही वजह है कि आप कितने भी सफल क्यों न हो जाएं- कितने भी आत्मनिर्भर लेकिन आपको एक साथी की जरूरत होगी ही। और वह साथी कोई दोस्त या कलीग नहीं हो सकता। दिल्ली के 29 वर्षीय प्राध्यापक नवीन खरे कहते हैं।
 
30 वर्षीय कॉरपोरेट वकील जोबिन देवासी कहते हैं, आपका सामाजिक दायरा कितना भी खुशहाल क्यों न हो, एक समय बाद आप अकेलेपन का शिकार होते हैं। तब आपको महसूस होता है कि कोई तो हो, जो घर पर आपका इंतजार करे। आप उसके पास लौटना चाहते हैं। नवीन और जोबिन की बात का समर्थन करती हैं रीता प्रभा शास्री। रीता प्रभा वैवाहिक मामलों की विशेषज्ञ और मनोविश्लेषक हैं। वह कहती हैं, हमारे यहां 99 प्रतिशत लोग अपनी जिंदगी के सुख दुख किसी न किसी शख्स से बांटना चाहते हैं। इसीलिए शादी हमें भावनात्मक रूप से सुरक्षित बनाती है। युवाओं को भले आज सब कुछ हासिल हो रहा हो, लेकिन फिर भी इस भागदौड़ की जिंदगी में उन्हें एक भावनात्मक संतुष्टि नहीं मिल पाती। शादी दो लोगों के बीच एक घनिष्ठता को जन्म देती है, भले ही वह अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज। इसीलिए लोग अब भी शादी जैसी संस्था का विकल्प नहीं तलाश पाए हैं।

मैरीइंग अनीता नाम का उपन्यास लिखकर मशहूर हुई अनीता जैन कहती हैं, ‘बहुत कम लोग ही अकेले रहना चाहते हैं। ज्यादातर लोगों को हमसफर चाहिए ही। अनीता के इस उपन्यास की एनआरआई नायिका अमेरिका की जीवनशैली से त्रस्त होने के बाद भारत लौटती है ताकि अपने लिए एक वर तलाश सके। अनीता की ही तरह फ्लोरिडा से भारत में अपने लिए वधू तलाशने आए गुरप्रीत कहते हैं, मैं अकेले जिंदगी जीते जीते थक गया हूं। रोज सिर्फ अपने बारे में सोचते रहो। मैं चाहता हूं कि कोई दूसरा मेरे बारे में सोचे। मेरे लिए शॉपिंग करे। सोचिए किसी दुकान पर कोई मेरे बिना कहे ही मेरे पसंद के खाने का सामान खरीदे- यह कितना एग्जाइटिंग होता है। गुरप्रीत 28 साल के हैं और फ्लोरिडा में फाइनांशियल एडवाइजर हैं।

जब आप अपना करियर बनाने में व्यस्त होते हैं, तो आपके पास इन बातों के लिए समय नहीं होता। न ही आपको किसी साथी की जरूरत महसूस होती है। 30 वर्षीय एडवरटाइजिंग प्रोफेशनल प्रीति सिंह कहती हैं, लेकिन एक खास पद पाने के बाद, जब आप परिपक्व हो जाते हैं, तब आपको ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत होती है, जो आपकी जिंदगी के हर पल को बांटे।
 
क्या इसका कोई विकल्प है
शादी का विकल्प क्या है? लिव इन रिलेशनशिप.. लेकिन यह आपको निश्चिंतता नहीं देता। रीता प्रभा कहती हैं, फिर लड़को के लिए भले ही यह आसान हो, लड़कियों के लिए मुश्किल ही होती हैं। अक्सर लड़के प्रतिबद्धताओं से घबराते हैं लेकिन लड़कियां प्रतिबद्ध रिश्ते चाहती हैं। क्या कोई लड़की आसानी से इस बात को स्वीकार करेगी कि वह लिव इन के तो लायक है लेकिन शादी करने के लायक नहीं?

शायद इसीलिए लडकियां लड़कों के मुकाबले शादी को लेकर ज्यादा गंभीर होती हैं। पर अब लड़के भी शादी को ही अच्छा विकल्प मानते हैं। शादी तो लड़के भी करना चाहते हैं, बेसब्री और बेताबी से लेकिन किसी को अपनी भावनाएं दिखाना नहीं चाहते। दरअसल लड़कों को बनाया ही इस तरह गया है। दिल्ली की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले 28 वर्षीय अमित स्वरूप कहते हैं।

ऑलमोस्ट सिंगल नामक उपन्यास से लोकप्रिय हुईं अद्वैत काला भी सहमति जताती हैं, मेरे बहुत से पुरुष मित्र शादी करने के लिए आतुर रहते हैं। हां, उनकी चिंताएं दूसरी होती हैं। अगर औरतें इस बात को लेकर परेशान रहती हैं कि उन्हें एक खास उम्र में शादी कर लेनी चाहिए क्योंकि इसके बाद गर्भावस्था में दिक्कतें आती हैं तो पुरुषों को दूसरी चिंताएं सताती हैं। जैसे कहीं उनके बाल गिर गए तो । अद्वैत हंसते हुए बात खत्म करती हैं।
मैरिज काउंसिलर आभा श्रीजीत कहती हैं, मेरे पास आने वाली ज्यादातर लड़कियां, अगर वे बड़ी उम्र की होती हैं, तो शादी के बाद बच्चे जल्दी चाहती हैं। ज्यादातर अपने परिवारों के दबाव के चलते नहीं, अपनी इच्छा से शादी करना चाहती हैं।

क्योंकि सब चाहते हैं
बेशक ज्यादातर युवा अब अपनी इच्छा से विवाह के बंधन में बंधना चाहते हैं, बहुत से इसलिए भी शादी करना चाहते हैं क्योंकि उनका समाज ऐसा चाहता है। आभा श्रीजीत इस बात पर भी सहमति जताती हैं, जी हां, हमारे यहां माता-पिता या परिवार भी बच्चों पर बराबर इस बात का दबाव बनाते हैं कि उन्हें समय रहते शादी कर लेनी चाहिए। बार-बार इस बात का दबाव, बच्चों के मन पर भी असर करता है। लड़के-लड़कियों को यह लगता है कि शादी उनके लिए बहुत जरूरी है।

31 वर्षीय उद्यमी दीप्ति सिंह कहती हैं, लोग इस बात पर चिंता करते हैं कि मैं 30 साल से ज्यादा हो गई हूं लेकिन अब तक मेरी शादी नहीं हुई। मुझे भी यह बात परेशान करती है। ये लोग इस बात पर खुश नहीं होते कि मैं अपनी आजादी से खुश हूं। अपनी मर्जी से घूमती-फिरती हूं। मैं अपनी देखभाल खुद कर सकती हूं और मुझे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। मैं भला इस बात के लिए अफसोस क्यों करूं कि मेरी अब तक शादी नहीं हुई। क्या दुनिया में पुरुषों की कमी होने वाली है? क्या जिंदगी कोई रेस है? अगर मैं अपना समय लेना चाहती हूं तो लोगों को क्या परेशानी है? लेखिका अनीता जैन सहमति जताती हैं, हमारे यहां माता-पिता अपने बच्चों पर बहुत दबाव बनाते हैं। कई बार यह बहुत गैर जरूरी होता है और पागल कर देने वाला भी। इसका क्या फायदा होता है? क्या बच्चे सचमुच किसी साथी की जरूरत महसूस करते हैं, बिल्कुल नहीं। हां, उनका एनजाइटी लेवल जरूर बढ़ जाता है।
हमें रहना है, अपनी पसंद से दीप्ति जैसे फैसले कइयों ने किए हैं। एक मीडिया हाउस में आर्टिस्ट 38 वर्षीय लक्ष्मी दीक्षित भी तब तक अकेले रहना चाहती हैं जब तक उन्हें सुपात्र न मिल जाए। एक बार प्यार में असफल रहने के बाद वह चाहती हैं कि अब जिसके साथ जीवन जीने का निश्चय करें, उसे पूरी तरह से समझ लें। ऐसे भी लोग हैं जो अकेले ही जीवन बिताने का फैसला कर चुके हैं। मैं अकेला ही रहना चाहता हूं क्योंकि मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकता कि मेरे उठने-बैठने, सोने-जागने और घूमने फिरने पर कोई टोका टाकी करे। 34 वर्षीय फोटोग्राफर आनंद घनश्याम कहते हैं, मैं अकेला ही इस दुनिया के मजे लूटना चाहता हूं।

कहते हैं न, शादी का लड्डू- जो खाए वो पछताए.. और जो न खाए वो भी पछताए। सो, ज्यादातर लोग इस लड्डू को खाकर ही पछताना चाहते हैं। दुनिया भर में तमाम नए प्रयोग हो गए- नए आविष्कार और खोज भी हो गईं। लेकिन इन बदलावों के बीच जो एक बात अब भी जस की तस है, वह है शादी की खूबसूरत परम्परा। कस्बा हो, छोटे शहर या महानगर- आप दुनिया घूम आइए- बडम्े शहर में नौकरी कर लीजिए- तरक्की की सबसे ऊंची पायदान पर पहुंच जाइए- अपने लिए जीवनसाथी खोजने की इच्छा तब भी बलवती रहेगी। तभी तो रिश्तों में सभी तरह के प्रयोग करने के बावजूद लोग अब भी शादी करते हैं। लिव इन रिलेशनशिप, शादी न करने का फैसला, अकेले रहते हुए किसी बच्चे को गोद लेना, यह सब किया.. लेकिन शादी का कोई विकल्प नहीं देखा गया।

लोग शादी क्यों करना चाहते हैं
क्योंकि अपना इनकम टैक्स, टेलीफोन बिल, बिजली का बिल खुद नहीं भर सकते।
क्योंकि गाड़ी ड्राइव करनी नहीं आती।
क्योंकि खाना पकाना उन्हें पसंद नहीं।
क्योंकि दोस्तों को विंडो शॉपिंग करना पसंद नहीं।
क्योंकि दोस्त किसी फिल्म को छठी-सातवीं बार देखने नहीं जा सकते।
क्योंकि आपके सभी दोस्तों की शादियां हो चुकी हैं।

लोग क्यों करते हैं शादी
सर्वेक्षण में 33 प्रतिशत लोगों ने यह कहा कि वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें अपने जीवन में स्थायित्व की तलाश होती है। शादी ही उनकी जिंदगी को स्थायित्व देती है। आठ प्रतिशत ने कहा कि वे आर्थिक सुरक्षा के लिए शादी करना चाहेंगे। ऐसा कहने वालों ने यह भी स्वीकार किया कि वे दौलतमंद व्यक्ित से शादी करना चाहते हैं भले ही उसकी उम्र, उनसे कम या ज्यादा हो। ऐसा कहने वाली महिलाओं का प्रतिशत अगर 52 था, तो पुरुषों का 48 प्रतिशत।

सर्वेक्षण में केवल 4 प्रतिशत ने कहा कि वे सेक्स के लिए शादी करना चाहेंगे, जबकि ज्यादातर लोग पहले ही यह कह चुके थे कि शादी से पहले या शादी के बिना भी सेक्स से उन्हें परहेज नहीं। ऐसा कहने वाले लोग 73 प्रतिशत थे जिनमें 45 फीसदी महिलाएं 45 और 55 प्रतिशत पुरुष थे।

हॉलैंड के एक सर्वेक्षण में पिछले दिनों काफी दिलचस्प बातें सामने आईं। यहां की एक पत्रिका रिलेशंस ने 3500 लोगों से बातचीत की और पता लगाया कि वे शादी क्यों करना चाहते हैं। इनमें से 55 प्रतिशत ने यह कहा कि वे किसी की घनिष्ठता चाहते हैं इसलिए शादी करते हैं। ऐसा कहने वालों में महिलाओं का प्रतिशत 64 था, जबकि यही राय रखने वालों में पुरुष थे 36 प्रतिशत।

आपका सामाजिक दायरा कितना भी खुशहाल क्यों न हो, आप चाहते हैं कि घर पर कोई तो हो, जो आपका इंतजार करे।जोबिन देवासी, कॉरपोरेट वकीललोगों की यह चिंता मुङो भी परेशान करती है कि अब तक मेरी शादी नहीं हुई।
दीप्ति सिंह, उद्यमी

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