कसाब ने मांगी फांसी, अभियोजन ने कहा चालाकी
26/11 को हुए मुंबई हमले के एकमात्र जीवित गिरफ्तार आतंकवादी अजमल कसाब का कहना है कि उसने इकबालिया बयान सजा-ए-मौत से बचने के लिए नहीं दिया है। उसने कहा कि अदालत को यदि जरूरी लगे तो वह उसे फांसी पर लटका...
26/11 को हुए मुंबई हमले के एकमात्र जीवित गिरफ्तार आतंकवादी अजमल कसाब का कहना है कि उसने इकबालिया बयान सजा-ए-मौत से बचने के लिए नहीं दिया है। उसने कहा कि अदालत को यदि जरूरी लगे तो वह उसे फांसी पर लटका सकती है।
अभियोजन पक्ष ने कसाब के इकबालिया बयान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया और कहा कि इसमें खामियां हैं और वह पाकिस्तान में अपने आकाओं को बचाने की कोशिश कर रहा है।
अभियोजन पक्ष का मानना है कि कसाब ने मुकदमे की सुनवाई के बीच अपने गुनाह कमतर करने की कोशिशें शुरू कर दी है। कसाब ने 180 से ज्यादा लोगों की जान लेने वाले इस हमले की जिम्मेदारी अपने नौ साथियों पर थोपी है। कसाब ने स्वीकार किया है कि कामा अस्पताल के नजदीक पुलिस अधिकारियों पर उसके साथी अबू इस्माइल ने गोलियां चलाई थीं।
उसने कहा कि कामा अस्पताल के बाहर हमने एक पुलिस जीप को अपनी ओर आते देखा। जीप से गोलियां चल रही थीं तब अबू ने भी गाड़ी पर गोलियां चलाईं। मुझे दाएं कंधे, दाएं कोहनी और बायीं कलाई पर गोलियां लगी और अपनी बंदूक के साथ मैं गिर पड़ा। कसाब ने बताया कि इस्माइल अंधाधुंध गोलिया चलाते हुए गाड़ी की तरफ बढ़ा।
बयान में कसाब ने कहा है कि उस वक्त मैं उठा और अपनी गन दाईं बांह के नीचे दबाकर गाड़ी की तरफ बढ़ा । हमने जीप का दरवाजा खोला और पुलिस अधिकारियों को देखा। ऐसा लगा कि वे मर चुके थे। इस्माइल ने गाड़ी चलानी शुरू कर दी तभी कसाब ने उसे बताया कि वह घायल है और हिल डुल नहीं सकता।
कसाब ने कहा कि अबू ने मुझसे कहा कि घायल होने के बावजूद हिम्मत मत हारो। यहां तक कि कसाब ने गिरगाम चौपाटी के नजदीक हुई पुलिस मुठभेड़ संबंध में पुलिस कांस्टेबल तुकाराम ओंबले को बुरी तरह घायल करने की बात नहीं कही, जबकि ओंबले ने बुरी तरह जख्मी होने के बाद अपनी जान गंवाई थी और अभियोजन पक्ष के मुताबिक कसाब इसके लिए जिम्मेदार था।