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विपक्ष के फेर में पड़े अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री

अल्पसंख्यकों के लिए बनी एमएसडीपी (मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट प्लान) को लेकर विभाग के मंत्री शाहिद अली फेर में पड़ गए। विपक्ष ने अपने सवालों से उनकी जमकर घेराबंदी की। मंत्री को स्वीकार करना पड़ा कि इस...

विपक्ष के फेर में पड़े अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 20 Jul 2009 07:58 PM
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अल्पसंख्यकों के लिए बनी एमएसडीपी (मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट प्लान) को लेकर विभाग के मंत्री शाहिद अली फेर में पड़ गए। विपक्ष ने अपने सवालों से उनकी जमकर घेराबंदी की। मंत्री को स्वीकार करना पड़ा कि इस योजना के संचालन के लिए बनने वाली 15 सूत्री कमेटी का गठन जिलों में अब तक नहीं हुआ है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। मंत्री के जवाब से नाराज राजद व लोजपा विधायकों ने सरकार को अल्पसंख्यक विरोधी बताते हुए वाक आउट किया। जवाब के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने जमकर शोर भी किया।

मामला राजद के अख्तरूल इमान के ध्यानाकर्षण से जु़डा था। इसका जवाब देते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री शाहिद अली ने बताया कि पिछले वर्ष अप्रैल में भारत सरकार ने सूबे के सात अल्पसंख्यक बहुल जिलों के विकास के लिए 523 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। इनमें अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, सीतामढ़ी, पश्चिमी चम्पारण और दरभंगा शामिल हैं।

भारत सरकार ने इन जिलों में एक बेसलाईन सर्वे कराया। सर्वे के प्रतिवेदन के आधार पर जिलों में विकास योजनाओं की डीपीआर बनाई गई और इसे भारत सरकार को भेजा गया। डीपीआर के आधार पर भारत सरकार ने इस वर्ष फरवरी में दरभंगा, कटिहार और अररिया के लिए 36 करोड़ रुपये मंजूर किए और इसके पहले चरण में 16 करोड़ रुपया बिहार को मिला।

मई में सीतामढ़ी, पूर्णिया और किशनगंज के लिए 74 करोड़ रुपये मंजूर हुए लेकिन यह राशि अब तक नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि इन छह जिलों के लिए राज्य सरकार ने 130 करोड़ बजट उपबंध कर लिया है और इसमें 111 करोड़ केन्द्र सरकार को देने है।

राजद के सदस्य नेहालुद्दीन, शकील अहमद खां, अब्दुल बारी सिद्दीकी, रामदास राय, रामचन्द्र पूर्वे और इजहार अहमद आदि का कहना था कि इस योजना के तहत राज्य सरकार ने कोई काम नहीं शुरू किया है। जिलों के विकास की डीपीआर 15 सूत्री कमेटी की मदद से बनानी थी लेकिन राज्य सरकार ने कहीं भी इसका गठन नहीं किया और नौकरशाहों ने अपनी मरजी से डीपीआर बनाकर भेज दिया। इसके कारण इस योजना के तहत सूबे को पूरी राशि नहीं मिली।

 

 

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