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सीलिंग को लेकर नियमों के महाजल में फंसा निगम

शहर में सीलिंग को लेकर नगर निगम नियमों के महाजाल में फंसता जा रहा है। एक पखवाड़े से भवनों को सील करने का दम भरने वाले अफसर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए। दिलचस्प बात है कि जिनके भवन सील किए जाने थे,...

सीलिंग को लेकर नियमों के महाजल में फंसा निगम
लाइव हिन्दुस्तान टीमThu, 16 Jul 2009 09:42 PM
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शहर में सीलिंग को लेकर नगर निगम नियमों के महाजाल में फंसता जा रहा है। एक पखवाड़े से भवनों को सील करने का दम भरने वाले अफसर कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए। दिलचस्प बात है कि जिनके भवन सील किए जाने थे, उन्होंने चेंज लेंड यूज (सीएलयू) के लिए निगम में आवेदन कर दिया। निगम अब उनके खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई नहीं कर सकता। उधर, 40 वर्ग गज से छोटे क्षेत्रफल वाली दुकानों का सीएलयू करने से निगम पहले ही मना कर चुका है। सीएलयू की नई पॉलिसी पर गौर किया जाए तो शहर में शायद कोई दुकान ऐसी होगी, जो नियमों पर खरी उतरती होगी। ऐसे में इन दुकानों को कैसे सीएलयू दिया जाए? इस उलझन में अफसर फंसते दिखाई देर रहे हैं।


दरअसल, रिहायशी भवनों में कमर्शियल गतिविधियों को गैर कानूनी बताते हुए समाज सेवी कृष्ण लाल गेरा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिसकी सुनवाई के बाद कोर्ट ने निगम को कार्रवाई के आदेश दिए। निगम ने शहर में ऐसी 102 भवन चिह्न्ति किए। इनको कारण बताओ नोटिस जारी किए। 87 लोगों ने जवाब दे दिए। 15 सुनवाई पर नहीं पहुंचे। गैर हाजिरों को ज्वाइंट कमिश्नर ने 14 जुलाई को स्पीकिंग आर्डर कर दिए। इनकी सीलिंग की तैयारियों में अफसर जुट गए। वीरवार को इन लोगों ने सीएलयू के लिए आवेदन कर दिया। यह दांव चलकर लोग कार्रवाई से बच गए। 87 के दस्तावेजों की जांच अभी चल रही है। इनमें भी करीब 15 ने सीएलयू के लिए आवेदन किया है। सीएलयू के लिए आ रही अजिर्यों से निगम प्रशासन खुश नजर आ रहा है। इससे निगम को आठ हजर रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से राजस्व मिलेगा। आर्थिक तंगी में यह रकम निगम में ऑक्सीजन का काम करेगी। सीएलयू की नई पॉलिसी पर गौर करें तो निगम को यह गलतफहमी है। सूत्रों के मुताबिक शहर में शायद कोई ऐसी दुकान होगी, जो पॉलिसी के नियमों को पूरा करती होगी।

नियमों के आधार पर होगा सीएलयू

 निगमायुक्त सीआर राणा का कहना है कि पॉलिसी के मुताबिक ही रिहायशी भवनों का सीएलयू किया जाएगा। एफसीए नियम के तहत 40 वर्ग गज से कम का सीएलयू नहीं होगा। पुरानी रिहेबिटेशन स्कीम के तहत एनआईटी की मार्केट में आने वाली दुकानों का सीएलयू होगा। जो सीएलयू करवाना चाहते हैं, उनके भवनों की सीलिंग नहीं की जाएगी।
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क्या है सीएलयू की नई पॉलिसी

-29 दिसंबर 2008 को नई पॉलिसी लागू हुई
-ओल्ड रिहेबीटेशन स्कीम के रिहायशी क्षेत्र के डवलपमेंट प्लॉन पर यह पॉलिसी लागू
-25 फुट रोड पर स्थित 500 वर्ग गज तक के क्षेत्रफल पर सीएलयू करने की इजाजत
-पार्किग के लिए दुकान मालिक को व्यवस्था करनी होगी
-नेशनल बिल्डिंग कोड के मुताबिक 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग में लिफ्ट की व्यवस्था करनी होगी। आटोमेटिक जनरेटर भी होना चाहिए
-अग्निश्मन गाड़ी के आवागमन के लिए खुला रास्ता लाजमी चाहिए
-प्लॉट का सबडिविजन नहीं हो
-बिल्डिंग में सोलर वाटर हिटिंग सिस्टम जरूरी है
-बिल्डिंग प्लान पास होना चाहिए
-नेशनल बिल्डिंग कोड गाइडेंस के मुताबिक बिल्डिंग की मजबूती के लिए मालिक को स्ट्रक्चर सेफ्टी सर्टिफिकेट देना होगा
- हरियाणा सरकार के नियमों के मुताबिक रेनवाटर हारवेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा
-विशेष आवश्यकता वाले(विकलांग) लोगों के लिए बिल्डिंग में रैंप जरूरी है

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