शहर में एसी बसें चलीं, लो फ्लोर बसें चलीं, एक्सप्रेस सेवा भी शुरू कर दी गई। यह सब पब्लिक को राहत देने के लिए तो है ही, आईएसओ प्रमाणित शहर का क्रेज बढ़ाने के नजरिए से भी बेहद अहम है। बसें तो एक से एक...
शहर में एसी बसें चलीं, लो फ्लोर बसें चलीं, एक्सप्रेस सेवा भी शुरू कर दी गई। यह सब पब्लिक को राहत देने के लिए तो है ही, आईएसओ प्रमाणित शहर का क्रेज बढ़ाने के नजरिए से भी बेहद अहम है। बसें तो एक से एक आ गईं, लेकिन बस अड्डा बदहाल है। न यात्रियों को बस का इंतजर करने के लिए खड़े होने की जगह है, न रात रुकने की और न ही खानपान की कोई सुविधा है। यह हालत हाइटेक शहर के सेक्टर-35 स्थित मोरना अंतर्राज्जीय बस अड्डा की है।
नोएडा के बस अड्डे से लखनऊ, आगरा, कानपुर, हल्द्वानी, देहरादून, सहारनपुर, बरेली, अलीगढ़ व मेरठ तक जती हैं। करीब आठ एकड़ में बने इस बस अड्डे से 166 बसें संचालित होती हैं। इनमें मेरठ तक जने वाली चार एयरकंडिशन अनुबंधित बसें भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग को यहां से हर माह तकरीबन तीस से चालीस लाख रुपए का फायदा हो रहा है। इसके बावजूद बस अड्डा अपनी किस्मत पर रो रहा है। यहां का बस अड्डा किसी छोटे से शहर के बस अड्डे से भी बदतर है। इस बस अड्डे में दो बस शेल्टर व पेट्रोल पंप के अलावा आपको कुछ भी नजर नहीं आएगा।