ताजमहल में 3 दिन के निशुल्क प्रवेश से संरक्षणविद चिंतित
मुगल बादशाह शाहजहां के सालाना उर्स के अवसर पर 19 जुलाई से ताजमहल में तीन दिनों के निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था पर संरक्षणविदों ने चिंता प्रकट की है कि क्या ताज इतने अधिक पर्यटकों का भार वहन...
मुगल बादशाह शाहजहां के सालाना उर्स के अवसर पर 19 जुलाई से ताजमहल में तीन दिनों के निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था पर संरक्षणविदों ने चिंता प्रकट की है कि क्या ताज इतने अधिक पर्यटकों का भार वहन कर लेगा।
ब्रज मंडल हेरिटेज कंजरवेशन सोसाइटी के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने कहा, ख्नख्नभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के विशेषज्ञ और सर्वोच्च न्यायालय दोनों ही पिछले कुछ वर्षो से स्मारक में आने वाले लोगों की क्षमता से चिंचित हैं और यह एक गंभीर मसला है।ज्ज्
इतिहासकार आर नाथ ने भी लोगों के बढ़ती संख्या के मद्देनजर स्मारक की सुरक्षा पर चिंता जताई है।
एक गाइड ने बताया कि पिछले १क् दिनों के दौरान अजमेर से लौट रहे मुस्लिम तीर्थयात्रियों के कारण ताजमहल पर लोगों का भारी दबाव है। गत शुक्रवार को प्रवेश निशुल्क होने के कारण बहुत अधिक संख्या में लोगों ने न केवल ताजमहल के अंदर नमाज अदा की बल्कि उसका भ्रमण भी किया।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय प्रशासन ने अजमेर से आने वाले तीर्थयात्रियों-पर्यटकों के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की है। जिसका नतीज यह है कि ताजमहल के आसपास का पूरा इलाका कूड़े करकट के ढेर में तब्दील हो गया है।
पर्यावरणविद रवि सिंह ने आईएएनएस को बताया, ख्नख्नताजमहल अथवा किसी भी अन्य स्मारक की वहन क्षमता के मुद्दे का हल उस स्मारक के हितों को ध्यान में रखते हुए ही लिया जना चाहिए। कई बार तो ताज में आने वाले पर्यटकों की संख्या २क्,क्क्क् तक पहुंच जती है। निश्चित रूप से इसका असर स्मारक पर कई तरह से पड़ता है।ज्ज्
उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब सर्वोच्च न्यायालय को पर्यटकों की संख्या निर्धारित करनी पड़ेगी या फिर उस पर प्रतिबंध ही लगाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटकों का दबाव कम करने के लिए टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग अथवा एडवांस बुकिंग शुरू की जनी चाहिए।