सेना के लिए खरीदे तकनीकी खामियों वाले हेलीकाप्टर
भारत के नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक ने रक्षा मंत्रालय को इस बात के लिए फटकार लगाई है कि उसने सेना के लिए 1747 करोड़ रुपए की लागत से ऐसे उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) खरीदे जिनमें तकनीकी खामियां थी...
भारत के नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक ने रक्षा मंत्रालय को इस बात के लिए फटकार लगाई है कि उसने सेना के लिए 1747 करोड़ रुपए की लागत से ऐसे उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) खरीदे जिनमें तकनीकी खामियां थी और उनकी वजह से सेना की कार्रवाइयां बाधित होती थीं।
कैग ने शुक्रवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये 40 हेलीकाप्टर ऐसे थे जिनमें तकनीकी खामियां थीं और इन से सेना की तैयारियों पर प्रभाव पडता था। रिपोर्ट में कहा गया है कि 9490 करोड़ रुपए की लागत से शक्ति इंजन वाले हेलीकाप्टरों को शामिल करने में बेजा देरी हुई। इसकी वजह से चीता और चेतक हेलीकाप्टरों को सेवा से बाहर करने में बेहद देरी हो रही है और कारगिल जैसे ऊंचाई वाले इलाके में सेना की तैयारियों पर बुरा असर पड़ रहा है।
कैग की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब कारगिल घुसपैठ के दस साल पूरे हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार सेना ने 1995 में इस बात की जरूरत बताई थी कि 2007 तक 99 हेलीकाप्टर सेवा में शामिल किए जाने चाहिए। 2001 में सीमित उत्पादन के तहत बनाए गए ध्रुव में तकनीकी खामियां थीं और यह गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करता था। यह 5000 मीटर से ऊपर उड़ान नहीं भर सकता था जबकि जरूरत 6500 मीटर की बताई गई थी। यह कमी हेलीकाप्टर के बी 2 इंजन के कारण थी। इन खामियों के बावजूद सेना ने हेलीकाप्टर स्वीकार कर लिए क्योंकि रक्षा मंत्री ने एक बार के लिए इसकी छूट दे दी थी और कुछ शर्तें रखीं थीं।
मार्च 2006 में 40 हेलीकाप्टरों की सप्लाई का ठेका हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लि के साथ किया गया लेकिन मार्च 2008 तक कम्पनी 24 हेलीकाप्टर ही दे पाई। इस कारण सेना को तीस साल पुराने चेतक और चीता हेलीकाप्टरो से ही काम चलाना पड़ रहा है।
इसके बाद दिसम्बर 2007 में मंत्रालय ने 105 ध्रुव हेलीकाप्टरों का सौदा 9490 करोड़ रुपए में कर लिया। कैग ने कहा है कि अब यह भी स्पष्ट नहीं है कि शक्ति इंजन वाले नए हेलीकाप्टर भी तकनीकी खामियों को दूर कर पाएंगे या नहीं।