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समलैंगिकता पर धार्मिक नेताओं ने किया विरोध

वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को वैध घोषित किये जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को कुछ धार्मिक नेताओं ने एक सिरे से खारिज कर दिया है। इस पर योग गुरु बाबा रामदेव ने अदालत के फैसले...

समलैंगिकता पर धार्मिक नेताओं ने किया विरोध
एजेंसीThu, 02 Jul 2009 06:05 PM
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वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को वैध घोषित किये जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को कुछ धार्मिक नेताओं ने एक सिरे से खारिज कर दिया है। इस पर योग गुरु बाबा रामदेव ने अदालत के फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने समलैंगिकता को वैध करार देने के लिए कानून बनाने की कोशिश की तो इसके विरोध की सड़कों पर लड़ाई लड़ी जायेगी।

बाबा रामदेव ने कहा कि दुख की बात है कि सरकार ऐसे मानसिक रुप से बीमार लोगों को संरक्षण देने के लिए कानून बनाना चाहती है जबकि आज सबसे ज्यादा जरूरत आतंकवादियों भ्रष्टाचारियों, बलात्कारियों तथा जहरीली मिलावट करने वाले तत्वों को मृत्युदंड देने वाले कानून बनाने की। उन्होने कहा कि ऐसे मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए सरकार को पुर्नवास केन्द्र व अस्पताल खोलने चाहिए न कि उन्हें सरंक्षण देने के लिए कानून बनाने की बात सोचनी चाहिए।

 

इस मसले पर जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी ने कहा है कि समलैंगिकता को वैध बनाना बिल्कुल सरासर गलत है । हम ऐसे किसी कानून को स्वीकार नहीं करेंगे। समलैंगिकता को अपराध मानने वाली धारा 377 को खत्म करने के लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन के प्रयास के लिए सरकार की आलोचना की ।
   
बुखारी ने कहा है कि यदि सरकार धारा 377 को खत्म करने के लिए कोई प्रयास करती है तो हम इसका कड़ाई से विरोध करेंगे । अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद राशिद फिरंगी माहली ने कहा कि समलैंगिकता को किसी भी धर्म में मंजूरी नहीं दी गई है । यह सभी धर्मों के खिलाफ है। यह भारतीय समाज की संस्कृति के खिलाफ है । हमारा मानना है कि समलैंगिकता को वैध बनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है । यह अप्राकृतिक है। इसे लगातार आपराधिक कृत्य माना जाना चाहिए ।
   

फादर डामिनिक इमान्यूल ने कहा कि चर्च को समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसे वैध नहीं बनाया जाना चाहिए। हम ऐसे लोगों को अन्य अपराधियों जैसा नहीं मानते लेकिन चर्च समलैंगिक संबंधों को भी नैतिक रूप से सही नहीं मानता । यह प्रकृति के खिलाफ है । इसे वैध नहीं किया जाना चाहिए । इस तरह की चीजों से बच्चों के यौन शोषण तथा एचआईवी और एड्स के संक्रमण के मामलों में वृद्धि होगी ।

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