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सिख छात्र बना नस्ली हमले का 20वां शिकार

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर सिलसिलेवार नस्ली हमलों का नया शिकार एक 22 वर्षीय सिख युवक हुआ है, जिस पर छह किशोरों के एक समूह ने हमला कर उसकी पगड़ी उतारने तथा बाल काटने का प्रयास किया। रेशम सिंह...

सिख छात्र बना नस्ली हमले का 20वां शिकार
एजेंसीTue, 30 Jun 2009 03:39 PM
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ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर सिलसिलेवार नस्ली हमलों का नया शिकार एक 22 वर्षीय सिख युवक हुआ है, जिस पर छह किशोरों के एक समूह ने हमला कर उसकी पगड़ी उतारने तथा बाल काटने का प्रयास किया।

रेशम सिंह छह माह पहले पंजाब से यहां होस्पिटेलिटी से संबंधित पाठ्यक्रम में अध्ययन करने आया था और उस पर डांडेनोंग स्टेशन पर सोमवार को हमला किया गया। सिंह नस्ली हमले का 20वां शिकार है। अंग्रेजी में ठीक ढंग से अपनी बात नहीं रख पाने वाले सिंह ने पंजाबी में बताया , उन्होंने पहले मुझे गाली दी और चले गये।
उसके बाद कई लोग फिर से आये और अपने साथ कई कैंचियां लेकर आए। उन्होंने मेरी पगड़ी उतारने और बाल काटने का प्रयास किया। सिंह ने कहा, मेरे दोस्तों ने मुझे बचाने का प्रयास किया। शैक्षिक एजेंटों ने भारत में मुझे कोई सूचना नहीं दी कि वहां जीवन कितना कठिन होता है। बाद में हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया गया। विक्टोरिया की पुलिस ने दो लोगों की गिरफ्तारी की पुष्टि की है, लेकिन पीड़ित की पहचान जारी नहीं की है।

पुलिस प्रवक्ता ने कहा, 13 और 15 वर्षीय युवाओं पर जान बूझकर गंभीर चोट पंहुचाने और समूह में जमा होकर हमला करने का आरोप लगाया गया है । ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री केविन रूड ने भारतीय छात्रों पर हमलों की कार्रवाई को कतई बर्दाश्त नहीं करने की घोषणा की थी । इस प्रकार के अपराधों पर अंकुश लगाने के प्रयास में विक्टोरिया पुलिस ने रेलवे स्टेशनों के इर्द गिर्द मजबूत गश्त लगाने जैसे कदम उठाये हैं ।

सिंह ने कहा, जब मैं यहां पहुंचा तो मुझे अपने कॉलेज के दोस्तों से नौकरी के बाजार और सुरक्षा जैसे अन्य मुद्दों के संबंध में पता लगा। उन्होंने कहा कि हालांकि इस घटना ने मुझे हिलाकर रख दिया, फिर भी मैं पढ़ाई जारी रखूंगा और स्थाई निवास हासिल करूंगा ।

उन्होंने कहा कि शक्ल सूरत और पहनावे के कारण उसे नौकरी नहीं मिल रही थी, इसलिए उन्होंने दोस्तों की मदद से ट्रॉली खींचने की नौकरी पाई। सिंह ने कहा, मुझे नौकरी देने के लिए कोई तैयार नहीं था, क्योंकि मेरी दाढ़ी और पगड़ी थी । रोचक बात यह है कि जिन छात्रों पर हमला किया गया है उनमें से अधिकतर कुकरी, आतिथ्य या सामुदायिक सेवा जैसे पाठ्यक्रमों में कम फीस वाले निजी कॉलेजों के छात्र थे। परिवार से दूर रहने वाले छात्र भारतीय स्तर से अधिक महंगी जीवन शैली के खर्च को पूरा करने के लिए देर रात तक काम करते हैं और सफाई, क्षाड़ू मारने , कैब चलाने और पेट्रोल स्टेशनों पर काम करते हैं।

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