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पहाड़ों पर सेहत

लोग छुट्टियों में अकसर पहाड़ों पर घूमने के लिए जाते रहते हैं, पर पहाड़ों पर सेहत की देखभाल के लिए कुछ छोटी-छोटी बातें जानना जरूरी है। सनबर्न से बचें : पहाड़ों पर हवा में ठंडक होने के बावजूद सूरज की...

पहाड़ों पर सेहत
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 23 Jun 2009 11:51 PM
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लोग छुट्टियों में अकसर पहाड़ों पर घूमने के लिए जाते रहते हैं, पर पहाड़ों पर सेहत की देखभाल के लिए कुछ छोटी-छोटी बातें जानना जरूरी है।

सनबर्न से बचें : पहाड़ों पर हवा में ठंडक होने के बावजूद सूरज की किरणें तेज होती हैं। ये चमड़ी को जला सकती हैं। बाहर निकलने से पहले, शरीर के उघड़े हुए अंगों पर 20 एसपीवी वाली सनस्क्रीन क्रीम लगाना न भूलें।

गॉगल्स पहनना भी है जरूरी : बर्फ से घिरे पर्वतीय क्षेत्रों में आंखों के बचाव के लिए गॉगल्स पहनना जरूरी है। तेज रोशनी आंखों के लेंस और पर्दो को नुकसान पहुंचा सकती है।

सुरक्षित जल ही पीएं : आबादी बढ़ने से अब पहाड़ी क्षेत्रों में बहने वाले झरनों और छोटी-मोटी नदियों का पानी भी पीने लायक नहीं रहा है। पानी के बैक्टीरिया और प्रोटोजोआ से प्रदूषित होने की काफी संभावना रहती है। अत: अगर आप अपने हॉलीडे का मजा किरकिरा न होने देना चाहें, तो पर्याप्त सावधानी बरतें और सुरक्षित पेय जल ही ग्रहण करें।

अधिक हड़बड़ी ठीक नहीं : समुद्र तट से 7,000 फुट या अधिक ऊंचाईवाले क्षेत्रों में शरीर को आदी होने में थोड़ा समय लगता है। ऊंचाई पर हवा का दाब घटने से ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। नतीजतन जल्दी थकान होने लगती है और सांस फूल सकती है। पहले 24-48 घंटे अधिक दौड़धूप न की जाए।

अधिक बहादुरी न दिखाएं : 10,000 फुट से अधिक ऊंचाईवाले क्षेत्रों में अपनी तंदुरुस्ती पर जरूरत से ज्यादा नाज करना और शरीर के अभ्यस्त होने से पहले अधिक शारीरिक दौड़धूप करना जोखिमभरा सिद्ध हो सकता है। मांउटेन सिकनेस होने पर फेफड़ों में पानी भर सकता है।

जरा संभल के : हवा में ऑक्सीजन घटने से ऐंजाइना की तकलीफ बढ़ सकती है और दिल का दौरा पड़ने का खतरा भी।

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