जीता पाकिस्तान
पाकिस्तानी फौजी अफसर इस बात पर खुश हो सकते हैं कि उन्होंने अमेरिकियों से कितनी फौजी इमदाद हासिल कर ली या कट्टरपंथी इस बात पर खुश हो सकते हैं कि वे पाकिस्तान में जब चाहें, जहां चाहें बम फोड़ सकते हैं,...
पाकिस्तानी फौजी अफसर इस बात पर खुश हो सकते हैं कि उन्होंने अमेरिकियों से कितनी फौजी इमदाद हासिल कर ली या कट्टरपंथी इस बात पर खुश हो सकते हैं कि वे पाकिस्तान में जब चाहें, जहां चाहें बम फोड़ सकते हैं, लेकिन इन दिनों समूचे पाकिस्तान को खुश करने वाली बातें कम ही हो रही हैं। पाकिस्तान की क्रिकेट टीम ने एक ऐसा मौका दिया है और जहिर है कि सारे पाकिस्तानी उसका भरपूर फायदा उठाएंगे।
जब टी-ट्वेंटी विश्व कप शुरू हुआ था तो पिछली उपविजेता टीम को ज्यादा लोग किसी गिनती में नहीं रख रहे थे। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से लगभग बाहर था, इसकी वजह से उसके खिलाड़ियों की काफी वक्त से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने की प्रैक्टिस नहीं थी। आईपीएल के सबसे ज्यादा अनुभव की वजह से भारतीय टीम के फिर से चैंपियन बनने के मौके सबसे ज्यादा बताए ज रहे थे और उसमें पाकिस्तान का एक भी खिलाड़ी नहीं खेला था।
लेकिन जो भी चीजें पाकिस्तान के अच्छे प्रदर्शन के खिलाफ बताई जा रही थीं, वे ही शायद उनके पक्ष में गईं। पाकिस्तान की यह ऐसी टीम थी, जो कुछ साबित करना चाहती थी, वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में फिर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाना चाहती थी। जैसे कि जीत पर कप्तान युनूस खान ने कहा भी कि अगर उनके देश में अशांति है तो उसमें खिलाड़ियों का कुसूर है।
वे एक ऐसे पाकिस्तान की पहचान दर्ज करवाना चाहते थे, जिसमें कुटिल और हिंसक राजनीति, आतंकवाद और आईएसआई के अलावा भी बहुत कुछ है, एक ऐसा देश जो किसी भी अन्य सामान्य देश की तरह संस्कृति, खेल और ऐसी ही आम गतिविधियों में अपने को व्यक्त करना चाहता है। शायद यह जीत पाकिस्तान को हिंसा और अस्थिरता के माहौल में एक आम देश की तरह खुश होने का मौका देगा। पाकिस्तानी खिलाड़ियों की प्रतिभा पर तो किसी को भी अविश्वास नहीं है।
वहां जैसे नए-नए स्वाभाविक रूप से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कोई खान है, लेकिन किसी सुव्यवस्थित तंत्र के अभाव में कम ही खिलाड़ी सर्वोच्च स्तर पर टिक पाते हैं। ऐसे ही खिलाड़ी शाहिद अफरीदी ने इस बार जानदार प्रदर्शन किया और सईद अजमल जैसे नए खिलाड़ी भी चमके। क्रिकेट की ही तरह शानदार अनिश्चितताओं से भरी पाकिस्तान टीम को इस वक्त जीत की सख्त जरूरत थी और वह हकदार भी थी।