विश्व बैंक परियोजनाओं की जानकारी नोडल विभाग से भी छुपाते हैं अफसर
विश्व बैंक की परियोजनाओं को लेकर अफसरों में एक तरह से जंग छिड़ी हुई है। इसका अह्म कारण यह है कि अफसर बाहरी संस्थाओं की मदद से खासतौर से विश्व बैंक की परियोजनाओं को पारदर्शी नहीं बनाना चाहते। वे आम...
विश्व बैंक की परियोजनाओं को लेकर अफसरों में एक तरह से जंग छिड़ी हुई है। इसका अह्म कारण यह है कि अफसर बाहरी संस्थाओं की मदद से खासतौर से विश्व बैंक की परियोजनाओं को पारदर्शी नहीं बनाना चाहते। वे आम जनता तो दूर प्रदेश सरकार के नोडल विभाग को भी इसकी जानकारी नहीं देते। लेकिन अब नई नोडल अफसर नीता चौधरी ने जानकारी नहीं देने वाले अफसरों को शिकंज कसना शुरू कर दिया है।
यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार का बाह्य सहायतित परियोजना विभाग सूबे के विभिन्न विभागों से प्राप्त परियोजना प्रस्तावों को प्रमुख सचिव नियोजन की अध्यक्षता में गठित नोडल कमेटी के समक्ष पेश करता है और कमेटी की मंजूरी के बाद प्रदेश सरकार की सिफारिश के साथ केंद्र सरकार के पास भेज दिया जता है। साथ ही नोडल विभाग द्वारा बाह्य सहायतित परियोजनाओं के मानीटरिंग और वैल्युएशन का कार्य भी किया जाता है।
अफसरों द्वारा नोडल विभाग को अँधेरे में रखे जने पर बाह्य सहायतित विभाग की प्रमुख सचिव नीता चौधरी ने सभी प्रमुख सचिवों और सचिवों को एक कड़ा पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि यह देखने में आ रहा है कि विश्व बैंक आदि बाहरी संस्थाओं के प्रतिनिधिमंडल परियोजना स्थल के निरीक्षण सहित अन्य मामलों में विचार-विमर्श करके चले जते हैं, लेकिन इसकी जानकारी नोडल विभाग को नहीं दी जाती।
इससे यह पता ही नहीं चल पाता कि परियोजनाओं के संचालन में किस तरह की कमी है और उनको कैसे सुधारा जए? इस तरह परियोजना की मानीटरिंग नहीं हो पाती। इसका परिणाम यह होता है कि आर्थिक सहायता देने वाली संस्था जब एकाएक परियोजना के संबंध में कोई ऐसी टिप्पणी कर जती है जो सरकार के लिए विषम स्थिति पैदा कर देती है।
पत्र में कहा गया है कि भविष्य में विश्व बैंक आदि बाहरी मदद से चल रही परियोजनाओं के निरीक्षण या बैठक के लिए जब भी कोई दल आए, नोडल विभाग को जरूर जनकारी दी जए। जिससे संबंधित समस्या का निराकरण नोडल अफसर द्वारा कराया ज सके।