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भारतीय छात्रों पर हमले जारी, विदेश विभाग सक्रिय

भारतीय छात्रों पर आस्ट्रेलिया में लगातार हो रहे नस्ली हमलों पर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए ऑस्ट्रेलिया से कहा है कि ये हमले स्वीकार्य नहीं है और यदि छात्रों पर हमले नहीं रुके तो शिक्षण क्षेत्र मे...

भारतीय छात्रों पर हमले जारी, विदेश विभाग सक्रिय
लाइव हिन्दुस्तान टीमSat, 30 May 2009 04:00 PM
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भारतीय छात्रों पर आस्ट्रेलिया में लगातार हो रहे नस्ली हमलों पर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए ऑस्ट्रेलिया से कहा है कि ये हमले स्वीकार्य नहीं है और यदि छात्रों पर हमले नहीं रुके तो शिक्षण क्षेत्र मे ऑस्ट्रेलिया की बढ़ती संभावनाओं पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी महीने अब तक भारतीय छात्रों पर पांच  हमले हो चुके हैं। गत अक्तूबर से अब तक भारतीय छात्रों व प्रवासी भारतीयों पर 500 से अधिक हमलों की खबर है। सर्वाधिक हमले विक्टोलिया प्रांत के मेलबर्न तथा सिडनी में हो रहे हैं।


सूत्रों के मुताबिक भारत लगातार हालात पर नजर रखे हुए है। जरूरत पड़ी तो भारत छात्रों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठा सकता है। इसमें छात्रों को ‘नसीहत’ जरी करना भी शामिल है। इस तरह भारत ने संकेत दिया है कि हालात बेकाबू हुए तो वह अपने छात्रों को वापस भी बुला सकता है। छात्रों से कहा गया है कि वह हर तरह के हमले की सूचना पुलिस को दें और भारतीय उच्यायोग व वाणिज्य दूतावासों के संपर्क में रहें। इन हमलों से भारतीय छात्रों में दहशत व्याप्त है।


विदेश मंत्रालय भारतीय छात्रों पर हो रहे हमलों पर आस्ट्रेलिया से लगातार संपर्क बनाए हुए है। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री केविन रड ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी फोन पर बात की। यहां विदेश मंत्रालय में पूर्वी देशों के मामलों के सचिव नीलकांत कवि ने आस्ट्रेलिया के भारत स्थित उच्चयुक्त जॉन मैकॉर्थि को तलब कर भारत की चिंताओं से अवगत कराया और कहा कि उनकी सरकार इन हमलों को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए। बुधवार को विदेश मंत्री एस.एम.कृष्णा ने आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री स्टीफन स्मिथ को फोन कर भारत की चिंता जताई थी।


भारत द्वारा डाले ज रहे दबाव के बाद स्टीफन स्मिथ ने शुक्रवार को विदेश मंत्री कृष्णा को फोन किया और बीस मिनट हुई बातचीत में उन्होंने इन हमलों को रोकने के लिए उठाए ज रहे कदमों की जनकारी दी। सूत्रों के मुताबिक, कृष्णा ने आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री से साफ शब्दों में कहा कि ऐसे हमले न होने दिए जएं। यह आस्ट्रेलिया सरकार की जिम्मेदारी है कि वह आस्ट्रेलिया में पढ़ रहे हमारे छात्रों को सुरक्षा प्रदान करे।


कैनबरा स्थित भारतीय उच्चयुक्त सुजता सिंह ने विक्टोरिया के प्रीमियर जॉन ब्रम्बी से मुलाकात की। वह गंभीर रूप से घायल एक छात्र श्रवण कुमार से भी अस्पताल में मिली हैं। सुजता सिंह और भारत में आस्ट्रेलिया के उच्चयुक्त ने इन हमलों के पीछे नस्ली विचारधारा वाले तत्वों का हाथ होने से इनकार नहीं किया है।


आस्ट्रेलिया ने पुलिस गश्त बढ़ाने समेत कई कदम उठाए:  भारतीय छात्रों पर आस्ट्रेलिया में लगातार हो रहे नस्ली हमलों पर भारत के कड़े विरोध के परिणाम स्वरूप आस्ट्रेलिया सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। सूत्रों के मुताबिक आस्ट्रेलिया प्रशासन ने रेलवे स्टेशनों पर देर रात में पुलिस की गश्त बढ़ाने और स्टेशनों के आस-पास सादे कपड़ों में पुलिस कर्मी तैनात करने की बात कही है। भारतीय छात्र पढ़ाई के अलावा रात के समय कुछ आय के लिए पेट्रोल पंप, रेस्तरां आदि में देर रात तक काम करने ट्रेनों से आना-जना करते हैं।


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा है कि आस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों के लिए विशेष दिशा-निर्देश पुस्तिका तैयार की जा रही है। जिमसें उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है, जसी जनकारियां व आवश्यक हिदायतें दी जएंगी। भारतीय उच्यायोग छात्रों के निकट संपर्क में है और उन्हें सभी संभव सहायता दी जएगी।
विदेशी छात्रों की समस्याओं को दूर करने के लिए गठित विक्टोरिया राज्य सरकार के टास्क फोर्स की रिपोर्ट की कई सिफारिशों को अगले महीने से लागू करने के संकेत दिए गए हैं। साथ ही लूट-पाट रोकने वाले आस्ट्रेलिया पुलिस बल की संख्या भी दोगुनी करने का फैसला किया गया है। आस्ट्रेलियाई गुंडे नस्ली आधार पर भारतीय छात्रों को न केवल पीटते और बुरी तरह घायल करते हैं बल्कि घायल कर उन्हें लूट भी लेते हैं।


आस्ट्रेलिया की ब्रिमबैंक पुलिस सेवा ने भारतीय समुदाय से संपर्क बना कर इन हमलों को कम करने के उपाय कर रही है। भारतीय उच्चायोग ने भारतीय छात्रों से कहा है कि वे उनके साथ होने वाली किसी भी घटना की विस्तृत जनकारी उच्यायोग या मेलबर्न स्थित वाणिज्य दूतावास को दे ताकि स्थानीय प्रशासन के साथ अधिक कारगर ढंग से कदम उठाने को कहा ज सके। साथ ही छोटी से छोटी घटना की सूचना भी पुलिस को भी जरूर दें। इससे प्रत्येक मामले ढंग से उठाया ज सकेगा। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों के खिलाफ हमले की घटनाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताज वारदात में सिडनी में एक भारतीय छात्र के घर पर पेट्रोल बम फेंका गया, जिसमें वह तीस फीसदी झुलस गया। ‘साउथ एशिया टाइम्स’ के मुताबिक 25 वर्षीय राजेश कुमार पर गुरुवार को हमला हुआ। जिस वक्त राजेश पर हमला हुआ उस वह अपने किराए के मकान में आराम कर रहा था, तभी एक अज्ञात व्यक्ित ने खिड़की से भीतर पेट्रोल बम फेंका।

गुंडे भारतीय छात्रों को ‘डॉलर वाला’ समझते हैं: आस्ट्रेलिया में इस समय करीब 95 हजर भारतीय छात्र पढ़ते हैं लेकिन विक्टोरिया प्रांत के ही कई शिक्षण संस्थानों में करीब 47 हजर भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं। इसी प्रांत के मेलबर्न शहर के आस-पास और सिडनी में सर्वाधिक नस्ली हमले भारतीय छात्रों और आप्रवासी भारतीयों पर हो रहे हैं। एक वर्ष से कम अवधि में ही पाच सौ से ज्यादा हमले हो चुके हैं। स्मरण रहे कि 1973 तक आस्ट्रेलिया ने गैर-गोरों को आस्ट्रेलिया आने पर रोक लगा  रखी थी।


भौगोलिक लिहाज से आस्ट्रेलिया एक बहुत बड़ा देश है लेकिन आबादी मात्र दो करोड़ से कुछ ही ज्यादा है। हाल के वर्षोँ में वहां अच्छे शिक्षण संस्थान व विश्वविद्यालय खुले लेकिन स्थानीय आबादी इतनी नहीं कि पूरी क्षमता से चल सकें। लिहाज आस्ट्रेलिया ने चीन, भारत, सिंगापुर,मलयेशिया आदि देशों के छात्रों को अपने यहां पढ़ने के लिए आकर्षित करने का अभियान चलाया।


आस्ट्रेलिया सरकार छात्रों को स्थाई निवास का परमिट और पांच-छह वर्षोँ में नागरिकता प्रदान कर देती है। इससे आकर्षित होकर हजरों छात्र वहां ज रहे हैं। लेकिन नस्ली भेद-भाव की भावना वहां अब भी जड़ जमाए हुए है। इसी वजह से रंग, डील-डौल और सीधे होने के कारण भारतीय आसान शिकार हो रहे हैं। सर्वाधिक छात्र चीन के हैं। भारत दूसरे नंबर पर है लेकिन चीनी वहां की अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण किए हुए हैं और चीन का हौव्वा भी ऐसा है कि चीनी छात्रों पर हमले नहीं होते।


भारतीय छात्रों पर हमलों का एक प्रमुख कारण नस्ली भेद-भाव के अलावा उनके पास डालर का होना बताया ज रहा है। कई भारतीय छात्र अपनी पढ़ाई के अलावा अतिरिक्त आय के लिए कुछ छोटा-मोटा काम करते हैं। बहुत से छात्र सम्पन्न परिवारों के होने के कारण उनके पास लैपटॉप और अच्छे इलेक्ट्रोनिक गैजेटस भी होते हैं।


आस्ट्रेलियाई गुंडे भारतीय छात्रों को लूटने के साथ ही हाथ आजमाने का आसान शिकार मानते हैं क्योंकि भारतीय छात्र आमतौर पर अमन पसंद, सीधे और अपनी पढ़ाई या काम धंधे के अलावा और कोई सरोकार नहीं रखते। आस्ट्रेलिया में पढ़ रहे चार लाख से ज्यादा विदेशी छात्रों में से करीब 22 फीसदी यानी 95 हजर के करीब भारतीय छात्र हैं। हर छात्र की दो साल की पढ़ाई पर लगभग 50 हजर डालर खर्च आता है। कुछ छात्र लोन ले कर पढ़ने जते हैं। ऐसे छात्र गर्मियों की छुट्टियों में घर आने के लिए हजरों रुपये खर्च करने के बजय पेट्रोल पंप, रेस्तरां या सेब के बगीचों में काम करते हैं और अपनी पढ़ाई का कर्ज और हाथ खर्च के लिए कमाई करने लग जते हैं। कमाई की यह मजबूरी ही उनके लिए मुसीबत भी बन जती है।


ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों पर हमले में पांच किशोर गिरफ्तार: आस्ट्रेलिया के मेलबर्न शहर में भारतीय छात्रों पर हमले की दो अलग-अलग घटनाओं के सिलसिले में पुलिस ने पांच किशोरों को गिरफ्तार किया है हालांकि एक अधिकारी ने इन्हें नस्ली हमले मानने से इंकार किया है।


हालांकि उपायुक्त केरन वॉल्श का कहना है कि मेलबर्न शहर में भारतीय छात्रों पर हमलों की वजह नस्लभेद नहीं है। वॉल्श ने शुक्रवार को कहा कि वह उन्हें असुरक्षित मानते हैं लेकिन उन्हें नहीं लगता कि इन हमलों की वजह नस्लभेद है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि मेलबर्न के पश्चिम में नस्लीय घृणा की वजह से भारतीय छात्रों पर हमले और लूटपाट की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि यहां ऐसा माना जता है कि भारतीय लोग आसानी से अपराधियों के मंसूबों का शिकार बन जते हैं।


उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि यह हमले नस्लभेद के कारण हो रहे हैं यह मौका पा किए जने वाले अपराध ही है।’ वाल्श ने समाचार पत्र ‘हेराल्ड सन’ को बताया, ‘हम उन्हें असुरक्षित समझते हैं लेकिन हम यह नहीं मानते कि उन पर नस्लभेद की वजह से हमले हो रहे हैं। हमें लगता है कि वे बहुत आसानी से शिकार बनने वालों में से हैं।’

 

 

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