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मेयर व कमिश्नर फिर आमने-सामने

चंडीगढ़। कालोनियों में पानी के मीटर लगाने को लेकर मेयर और कमिश्नर के बीच में टकराव पैदा हो गया है। नगर-निगम ने शहर की सभी पुनर्वास कालोनियों, मनीमाजरा, मौलीजागरां व गांवों में फ्लैट रेट बंद करके सौ...

मेयर व कमिश्नर फिर आमने-सामने
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 29 May 2009 03:00 PM
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चंडीगढ़। कालोनियों में पानी के मीटर लगाने को लेकर मेयर और कमिश्नर के बीच में टकराव पैदा हो गया है। नगर-निगम ने शहर की सभी पुनर्वास कालोनियों, मनीमाजरा, मौलीजागरां व गांवों में फ्लैट रेट बंद करके सौ फीसदी पानी के मीटर लगाने का प्रस्ताव किया है। वीरवार को वित्त और अनुबंध समिति की बैठक में इस प्रस्ताव को पेश किया गया था, लेकिन मेयर कमलेश ने इस प्रस्ताव का इस आधार पर विरोध किया कि पहले कालोनियों में पानी पूरा उपलब्ध कराया जाए।

निगम के प्रस्ताव में कहा गया है कि निगम ने शहरी विकास मंत्रालय से पेयजल आपूर्ति के एक प्रोजेक्ट के लिए 20 करोड़ रुपए व टर्शियरी ट्रीटेड वाटर के दूसरे प्रोजेक्ट के लिए 36 करोड़ रुपए की मदद ली है।  25 अगस्त 2008 को निगम ने जेएनएनयूआरएम के तहत केंद्र सरकार के साथ एक एमओयू पर दस्तखत किए हैं जिसमें एक शर्त यह भी है कि चंडीगढ़ में नगर-निगम को सौ फीसदी पानी के कनेक्शन मीटर से देने होंगे।


इसके बाद निगम ने कालोनियों में मीटर लगाने की मुहिम शुरू की, लेकिन अब भी 19, 296 लोग ऐसे हैं जो अपने फ्लैट रेट के कनेक्शन का मीटर लगवाने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। निगम के अफसरों ने कहा है कि जिन जगहों पर पानी के मीटर लगा दिए गए हैं, वहां पर पानी का प्रेशर भी ठीक हुआ है और पानी की बर्बादी भी रुकी है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इन जगहों पर पानी के मीटर लगाने के लिए जीआई पाइप और अन्य

इनफ्रास्ट्रक्चर्स पर खर्च करीब डेढ़ करोड़ रुपए का आएगा, लेकिन पानी के मीटर का खर्च उपभोक्ताओं से ही वसूल करना होगा, जो चार किस्तों में लिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि जब बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया तो मेयर ने इस पर आपत्ति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह कालोनियों के लोगों पर अतिरिक्त बोझ होगा। उन पर यह बोझ डालना ठीक नहीं है। कमिश्नर ने केंद्र सरकार के निर्र्देशों का हवाला देते हुए कहा है कि यदि वाटर मीटर के कनेक्शन नहीं लगाए गए तो केंद्र से मदद मिलना मुश्किल हो जाएगी। मेयर कमलेश ने कहा है कि चूंकि यह पॉलिसी मैटर है इसलिए इसका फैसला निगम की जनरल हाउस की बैठक में कराया जाना चाहिए।

मेयर ने रोके कई टेबल एजेंडा

निगम की बैठक के ठीक पहले टेबल एजेंडा रखने से मेयर ने इनकार कर दिया है।  मेयर कमलेश के फैसले से जहां कुछ पार्षदों में रोष है, वहीं मेयर ने यह कहते हुए अपने फैसले को जायज ठहराया है कि टेबल एजेंडा को लेकर पूरी तरह से विचार करने का मौका नहीं मिल पाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि टेबल एजेंडा रोकने पर बिल्कुल ही रोक लगा दी गई है लेकिन यह फैसला बहुत सोच-समझ कर किया गया है। सूत्रों का कहना है कि इस बार मेयर ने सभी एजेंडा पारित करने के पहले खुद मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया है। इंडस्ट्रियल एरिया में एक सड़क की रिकारपेटिंग का एजेंडा उन्होंने इस बात पर खारिज कर दिया कि वहां पर ही मल्टीस्टोरी पार्किंग को बनाया जाना है। यदि वहां पर रिकारपेटिंग की जाती तो लाखों रुपए बेकार जाते। उधर एक पार्षद रामसुमैर मौर्या ने कहा है कि उन्होंने अपने इलाके में तीन सड़कों को बनाने के लिए टेबल एजेंडा रखे थे जिन्हें खारिज कर दिया गया है।

कंपनियों की मंशा पर उठाए सवाल

जीरो प्रतिशत सर्विस चार्ज पर सफाई कर्मचारियों की सेवाएं निगम को देने के कंपनियों के प्रस्ताव पर भी सवाल उठाए गए हैं। आउटसोर्स पर सफाई कर्मचारियों को रखने के लिए निगम जिन कंपनियों को ठेके देने जा रहा है, उनमें से सभी ने जीरो प्रतिशत सर्विस चार्ज पर कर्मचारियों को नियुक्त करने का प्रस्ताव दिया है। मजेदार बात यह है कि  इनमें से एक कंपनी ने 7,६7, 000 रुपए सर्विस चार्ज महीने का कोट किया था, बाकी कंपनियों ने कुछ नहीं लिया है। कुछ पार्षदों ने कंपनियों की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

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