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खराब प्रदर्शन से टूटा माया का सपना

देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने की बसपा सुप्रीमो मायावती की तमन्ना उनकी पार्टी की खराब परफामेंस के साथ ही धूल धूसरित हो गई। बसपा ने लोकसभा चुनाव की कुल 543 सीटों के लिए सबसे ज्यादा 503 उम्मीदवार खड़े...

 खराब प्रदर्शन से टूटा माया का सपना
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने की बसपा सुप्रीमो मायावती की तमन्ना उनकी पार्टी की खराब परफामेंस के साथ ही धूल धूसरित हो गई। बसपा ने लोकसभा चुनाव की कुल 543 सीटों के लिए सबसे ज्यादा 503 उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन पार्टी कुल 21 सीटें की जीत पाई और वह भी उत्तर प्रदेश के अंदर ही। राज्य के बाहर पार्टी का कोई उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर पाया, यहां तक कि उसके बाहुबली उम्मीदवार भी धूल चाट गए। यही हाल भाजपा का हुआ, एसके पीएम इन वेटिंग एलके आडवाणी भी अंतहीन वेटिंग लिस्ट में चले गए। लोकसभा चुनाव में बसपा की सफलता दर महा 4.17 फीसदी रही जबकि सबसे बेहतर नतीजा उड़ीसा में बीजू जनता दल (बीजेडी) ने दिया। पार्टी ने बढ़िया परफार्म किया और उसकी सफलता दर 77.8 फीसदी रही। 2007 में विधानसभा चुनावों में बसपा की सोशल इांीनियरिंग लोकसभा चुनावों में बुरी तरह विफल रही। विधानसभा चुनावों में अप्रत्याशित सफलता के बाद कुछ राजनैतिक पंडितों ने उन्हें देश की भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखना शुरू कर दिया था। बसपा को भी कुछ कुछ ऐसा ही लगने लगा था। इस संबंध में एक पुस्तक भी सामने आई थी जिसमें बताया गया था कि मायावती किस प्रकार देश का प्रतिनिधित्व करंगी और पहली दलित प्रधानमंत्री बनेंगी। लोकसभा चुनावों में सबसे अच्छा परफार्म उड़ीसा की बीजू जनता दल ने किया। उसने अपने लंबे समय की साथी पार्टी भाजपा को छोड़ कर जो नया प्रयोग किया वह उसे खूब भाया और पार्टी ने उड़िसा की कुल 21 संसदीय सीटों पर अपने 18 उम्मीदवार खड़े किए और आसानी से 14 सीटों पर कब्जा कर लिया। इस प्रकार पार्टी की परफामेर्ंस बढ़िया रही और उसका सफलता दर सबसे बेहतर 77.8 फीसदी रही। लालू पासवान की भी इस चुनाव में बुरी हालत रही। पासवान का सूपड़ा ही साफ हो गया। लोजपा ने 80 उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन न तो वह अपनी सीट बचा पाए न ही उसका कोई उम्मीवार जीता। लालू 44 सीटों पर चुनाव लड़कर महा चार सीटें ही हासिल कर पाए जो उनके विगत चुनाव से 20 कम हैं। लालू की सफलता दरीसदी की खतरनाक दर पर गिर गई। बड़ा झटका सीपीआई को लगा जो लोसभा चुनाव में बुरी तरह परास्त हुई और अब उसका राष्ट्रीय पार्टी के तमगा छिनने के कगार पर है। पार्टी ने 81 उम्मीदवार खड़े किए थ और महा चार सीटें ही जीत पाई। इसी प्रकार सीपीएम भी देशभर में 16 सीटें जीत पाई।

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