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पश्चाताप और जीवन

ठीक छह सप्ताह पूर्व हमने क्रिसमस का त्योहार आनंद और हषर्ोल्लास के साथ मनाया। ब्राजील और गोवा के कुछ भागों में कार्नीवल की पुरानी परंपरा, जो ईसाई धर्म में चालीसे के आरंभ होने से पहले बड़े धूमधाम से...

Praveen Prasad Singh Sun, 15 March 2009 01:00 PM
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 पश्चाताप और जीवन

ठीक छह सप्ताह पूर्व हमने क्रिसमस का त्योहार आनंद और हषर्ोल्लास के साथ मनाया। ब्राजील और गोवा के कुछ भागों में कार्नीवल की पुरानी परंपरा, जो ईसाई धर्म में चालीसे के आरंभ होने से पहले बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, अभी-अभी समाप्त हुई है। बीता बुधवार, जो ईसाई समाज में राखबुध (लैंड डेज) के नाम से जाना जाता है और जब से चालीसे का समय आरंभ होता है, दुनियाभर के ईसाई परहेज, प्रार्थना और उपवास से शुरू करते हैं। कुछ विश्वासी इन चालीस दिनों में शारीरिक यातनाएं भी अपनी दिनचर्या में जोड़ लेते हैं। राख बुधवार के दिन पुरोहित पूजनविधि के समय लोगों के माथे पर राख मलते हुए कहते हैं, ‘इंसान, याद रख, तू मिट्टी है और मिट्टी में ही मिल जाएगा’ या ‘परमेश्वर का राज्य निकट है, पश्चताप करो और शुभ समाचार पर विश्वास करो’। ‘पश्चाताप’ और ‘पछतावा’ शब्द बाईबिल के पुराने और नए व्यवस्थान में अनेक बार प्रकट होते हैं, जिसका तात्पर्य लोगों से यह आह्वान करना है कि वे पाप का जीवन छोड़कर ईश्वर की आेर अपना रुख करें और अपने जीवन में परिवर्तन लाएं। स्वयं प्रभु ईसा मसीह ने जब ईश्वरीय प्रेम का संदेश लोगों के साथ बांटना आरंभ किया, तब उन्होंने अपने सुनने वालों से कहा कि वे अपने पापों पर पश्चाताप करें।ठीक इसी प्रकार योहन बपतिस्ता, जो ईसा के आगमन की घोषणा कर रहे थे, उन्होंने अपने उपदेश में लोगों से कहा, ‘पश्चाताप करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है’। बाईबिल के पुराने व्यवस्थान में योब नामक व्यक्ित पर कई विपत्तियां आ पड़ी थी। उसे जब अपने पापों का एहसास हुआ, तो उसने ईश्वर से प्रार्थना की, ‘मुझे अपने उपर ग्लानि होती है, मैं अपने आप को धूल और राख में लपेटकर पश्चाताप करता हूं’। एक अन्य नबी दानिएल भी कहते हैं, ‘तब मैं अपने स्वामी परमेश्वर की आेर उन्मुख हुआ, मैंने पश्चाताप प्रकट करने के लिए टाट के वस्त्र पहने और अपने सिर पर राख डाली। मैंने उपवास रखा..। मैंने प्रभु परमेश्वर से अपना पाप स्वीकार किया’।पश्चाताप और पछतावे का अर्थ अपने मन के अंदर झांक, अपने पापों और अपनी आध्यात्मिक कमजोरियों को देख व परख कर उनकी आेर से मुंह मोड़कर ईश्वर की आेर अपने जीवन को फिराना है। चालीसे का समय एक ऐसा समय है, जब विश्वासियों से यह आशा की जाती है कि वे ईश्वर व अपने रिश्तेदारों और आस-पड़ोसियों के साथ टूटे हुए रिश्तों को ठीक कर वापस सामान्य जीवन आरंभ करें। चालीसे का समय विश्वासियों को एक संपूर्ण मानवीय जीवन जीने के लिए आमंत्रित करता है। माथे पर राख का लेपन और पुरोहित द्वारा उच्चारित शब्द इसका एक उत्तम चिह्न् है।

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