छह लाख करोड़ तक जा सकता है राजस्व संग्रह
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के लिए आगामी साल (2008-0े बजट में आम लोगों को राहत देने का माहौल बन रहा है। इसमें उनकी सबसे अधिक मदद कर रही है चालू साल (2007-08) में राजस्व संग्रह में हो रही भारी बढ़ोतरी।...
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के लिए आगामी साल (2008-0े बजट में आम लोगों को राहत देने का माहौल बन रहा है। इसमें उनकी सबसे अधिक मदद कर रही है चालू साल (2007-08) में राजस्व संग्रह में हो रही भारी बढ़ोतरी। वित्त मंत्रालय में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चालू साल में राजस्व संग्रह छह लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इसके लिए बजट में 5,48,122 करोड़ रुपये का अनुमान रखा गया था। राजस्व संग्रह का यह स्तर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)और कर के बीच के अनुपात को बढ़ाकर 13 फीसदी पर ले जाएगा जबकि बजट में इसके लिए 11.8 फीसदी के अनुपात का लक्ष्य रखा गया है। राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी के इस प्रदर्शन के पीछे के कारणों पर मंत्रालय के उक्त अधिकारी का कहना है कि इसके लिए करदाताओं की बेहतर करदेयता, कर प्रशासन का बेहतर प्रबंधन और लगातार उठाये गये जरूरी कदम शामिल हैं। कर संग्रह में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा हिस्सा प्रत्यक्ष करों से आ रहा है। कर संग्रह की 50 फीसदी हिस्सेदारी प्रत्यक्ष कर संग्रह से आएगी। इसके लिए बजट में 2,78,013 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया था। चालू साल के प्रदर्शन से लगता है कि प्रत्यक्ष कर संग्रह अब कर संग्रह में अप्रत्यक्ष कर संग्रह के वर्चस्व को तोड़ने के कगार पर है। जहां तक अप्रत्यक्ष कर संग्रह का मामला है तो उसके तहत उत्पाद शुल्क संग्रह के लक्ष्य से कम रहने के आसार हैं लेकिन ऊंची विकास दर के चलते इसकी भरपाई सीमा शुल्क और सेवा कर से हो जाएगी। राजस्व संग्रह की यह बेहतर स्थिति वित्त मंत्री के सामने शुल्क दरों में कटौती कर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में बढ़ोतरी का विकल्प बन सकती है। वैसे भी कई क्षेत्रों के लिए मांग में कमी के चलते उनके ऊपर करों में कटौती के जरिये स्थिति सुधारने का दबाव है। वहीं लघु उद्योग क्षेत्र के लिए उत्पाद शुल्क छूट सीमा में बढ़ोतरी को लेकर भी वित्त मंत्री के ऊपर दबाव है। हाल ही में सरकार ने कई उत्पादों को लघु उद्योग क्षेत्र की आरक्षण सूची से बाहर किया है। उसके चलते इस क्षेत्र के लिए कुछ कदम उठाने का दबाव वित्त मंत्री पर है। लेकिन छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने की संभावना को देखते हुए वित्त मंत्री पर संसाधनों के समायोजन का दबाव होगा। इसके अलावा किसानों के कर्ज माफ करने के लिए बजट में पैकेज लाये जाने की संभावना काफी पुख्ता है। जिसके चलते उन्हें अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत पड़ेगी।