कमलनाथ ने निर्यातकों को दिए बजट में कर राहत के संकेत
वाणिय एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने आगामी बजट में निर्यातकों को कर राहत देने के संकेत दिए हैं। कमलनाथ ने उद्योग मंडल फिक्की के 80 वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन एक सत्र में रुपए की मजबूती और ब्याजदर...
वाणिय एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने आगामी बजट में निर्यातकों को कर राहत देने के संकेत दिए हैं। कमलनाथ ने उद्योग मंडल फिक्की के 80 वें वार्षिक सम्मेलन के दूसरे दिन एक सत्र में रुपए की मजबूती और ब्याजदर में वृद्धि के कारण निर्यातकों को आ रही समस्या पर एक सवाल के जवाब में कहा-मुझे इस पर जहां लड़ना है, लड़ रहा हूं। कमलनाथ ने बाद में संवाददाताआें से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि कच्चे माल पर तैयार माल से अधिक कर का मुद्दा महत्वपूर्ण है। वाणिय मंत्री ने कहा कि त्रुटिपूर्ण शुल्क व्यवस्था को इसी वर्ष ठीक करने का समय है क्योंकि एक वर्ष में हम कई क्षेत्रीय मुक्त व्यापार समझौते लागू करने जा रहे है। उसके देखते हुए घरेलू उद्योगों की इस शिकायत का निवारण होना ही चाहिए। फिक्की के महासचिव डा. अमित मित्रा ने कहा कि ऐसे 430 चीजें है जहां कच्चे माल पर आयात शुल्क तैयार माल से अधिक है। उन्होंने इस संबंध में पहला उदाहरण टायर का दिया जहां रबड़ पर आयात शुल्क टायर पर शुल्क से ऊंचा है। इससे विदेशों से टायर का आयात सस्ता पड़ता है तथा घरेलू निर्माता असुविधा में पडते है। मित्रा ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि 2007-08 के बजट में ही उल्टे शुल्क ढांचे को खत्म कर दिया जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ। इससे पहले, अपने संबोधन में कमलनाथ ने माना कि रुपए की विनिमय दर और महंगे कर्ज के घरेलू उद्योग की शिकायत में दम है। उन्होंने इस शिकायत को दूर करने की सरकार की मंशा का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि उद्योग इस संबंध में बजट या उसके ठीक बाद कुछ उपायों की उम्मीद कर सकता है। इससे लगता है कि 2रवरी के बजट या मार्च के अंत में जारी की जाने वाली वार्षिक निर्यात आयात नीति में भी ये उपाय आ सकते है। उल्लेखनीय है कि पिछले एक वर्ष में डालर के मुकाबले रुपए की दर 12 प्रतिशत चढ़ गई है जिससे भारतीय माल विदेशियों को मंहगा दिखने लगा है। कमलनाथ ने कहा कि भारत ने बताया कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के सथ शुल्क मुक्त व्यापार व्यवस्था का समझौता होने ही वाला है। जापान से ऐसे समझौते की बातचीत अच्छी प्रगति पर है तथा यूरोपीय संघ के साथ भी बातचीत चालू हो गई है। उल्लेखनीय है कि श्रीलंका के साथ द्विपक्षीय समझौते को लागू करने के बाद भारत ने थाइलैंड के साथ एफ टी ए को लागू करना शुरु कर दिया है। सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता लागू करने को तैयार है। भारत कई अन्य देशों और क्षेत्रीय बाजार समूहों से इस प्रकार के समझौतों की बातचीत कर रहा है।