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राज्य में नगर निकाय चुनाव की रणभेरी बज गयी। आचार संहिता लागू हो गयी। क्या अमीर साहब, क्या गरीब भइया-सभी मेयर,डिप्टी मेयर,अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और वार्ड पार्षद बनने की तैयारी मंे जुट गये। मंत्री जी अपने...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राज्य में नगर निकाय चुनाव की रणभेरी बज गयी। आचार संहिता लागू हो गयी। क्या अमीर साहब, क्या गरीब भइया-सभी मेयर,डिप्टी मेयर,अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और वार्ड पार्षद बनने की तैयारी मंे जुट गये। मंत्री जी अपने चेला-चाटियों को आशीर्वाद देने लगे। बाबा दरबार के पास रहनेवाले एक मंत्री ने निर्वाचन आयोग में फोन लगाया : क्या आज से ही आचार संहिता लागू करवा दिये हैं? जवाब आया: जी हां। आचार संहिता लागू हो गयी है। मंत्रीजी झल्लाते हुए बोले आज ही मुझे अपने क्षेत्र में एक निर्माण कार्य का शिलान्यास करना है। अब तो यह कार्यक्रम स्थगित कर देना पड़ेगा? जवाब आया-जी हां। मंत्री जी फिर झल्लाये-आचारसंहिता के चक्कर में तो जनता-जनार्दन रूठ जायेगी। मंत्री जी उस दिन शिलान्यास न कर पाने से दु:खी होकर आयोग को कोसते रहे। अचानक शिलान्यास कार्यक्रम स्थगित होने से मंत्री जी के क्षेत्र में उदासी छा गयी। क्षेत्र से दिन भर दर्जनों फोन आने लगे। खिसायानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत चरितार्थ करते हुए मंत्रीजी तीसरी बार झल्लाये और अपने चेले चाटियों से कहा: यह जानता तो अधिसूचना ही थोड़े दिन के लिए टरका देता ।

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