राजरंग
वाह री राजनीति तेरे भी क्या कहने, जी चाहता है कि आपकी खिदमत में ये गाना गुनगुनाउं। हमका अइसा-वइसा ना समझो, हम बड़े काम की चीज.. यह गाना एकदम फिट बैठ रहा है नगर निगम चुनाव में खड़े प्रत्याशियों पर।...
वाह री राजनीति तेरे भी क्या कहने, जी चाहता है कि आपकी खिदमत में ये गाना गुनगुनाउं। हमका अइसा-वइसा ना समझो, हम बड़े काम की चीज.. यह गाना एकदम फिट बैठ रहा है नगर निगम चुनाव में खड़े प्रत्याशियों पर। दावे करने में बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों को भी पीछे छोड़ दिया है। जनता भी परेशान कि किस पर भरोसा करें। अभी जनता इनकी सुन रही हैं और वे अपनी सुनायेंगे चुनाव के दिन। प्रत्याशियों की बॉडी लैंग्वेज तो कहती है कि वे राजनीति में लंबी पारी खेलना चाहते हैं। राजनीति भी गजब की चीज है। बस दो चार को जुगाड़ कीजिये और कूद जाइये राजनीति के मैदान में। किस्मत रही, तो बहुत दूर तक जा सकते हैं। प्रत्याशी भी समझ रहे हैं : विकास की गाड़ी आउट ऑफ कंट्रोल है, तो क्यों न विकास का ही फंडा अपनाया जाये। अब देखना यह है कि यह फंडा कहां तक कारगर साबित होगा, परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। इधर सबरंग चचा भी परेशान हैं कि आखिर हो क्या रहा है, जहां जाइए वहां जीतेगा भाई जीतेगा के नारे लग रहे हैं। ऐसा हुजूम तो बहुत कम ही देखने को मिलता है। इतना ही जोश काम करने में रहा, तो विकास की गाड़ी को सरपट दौड़ने से कोई नहीं रोक सकता।