अनु. जनजाति की सीट पर सामान्य का चयन
वास्थ्य शिक्षाधिकारी में लोक सेवा आयोग एवं सरकार द्वारा की गई मनमानी अब खुलकर सामने आने लगी है। पता चला है कि विज्ञापन के समय निर्धारित मानकों के विरुद्ध अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर अन्य...
वास्थ्य शिक्षाधिकारी में लोक सेवा आयोग एवं सरकार द्वारा की गई मनमानी अब खुलकर सामने आने लगी है। पता चला है कि विज्ञापन के समय निर्धारित मानकों के विरुद्ध अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों को चयनित कर दिया गया है।ड्ढr सूत्रों से पता चला है कि स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी के साक्षात्कार के बाद शासन स्तर से यह निर्देश आया कि अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 11 पद सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों से भर दिए जाएँ। अंतिम परिणाम में जनजाति के अभ्यर्थियों की जगह सामान्य का चयन भी हो गया। इस जानकारी पर स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी के लिए आवेदन करने वाले छात्र हाईकोर्ट चले गए। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि अंतिम निर्णय होने से पहले सामान्य श्रेणी के 11 पदों को खाली रखा जाए। इस आदेश के बाद अब स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी का परिणाम परिवर्तित होना तय है। आयोग के सूत्रों से पता चला है कि ऐसा आदेश वर्तमान सरकार के समय में आया है। इससे अब यह निश्चित हो गया है कि इस मामले में सरकार भी कहीं से शामिल है। यह परीक्षा शुरू से ही विवाद के घेरे में रही है। आयोग द्वारा चयन के लिए जो मानक अपनाए गए उनको लेकर प्रतियोगियों के मन में हमेशा शंका बनी रही। इसक ो लेकर छात्र न्यायालय गए तब परिणाम परिवर्तित किया गया। परिवर्तन में जगह न पाने वाले छात्र दोबारा न्यायालय गए और फिर से निर्णय आने के बाद साक्षात्कार का परिणाम घोषित किया गया। अब अंतिम परिणाम आने के बाद अनेक खामियाँ सामने आने लगी हैं। प्रतियोगी छात्र मंच ने परिणाम निरस्त कर फिर से साक्षात्कार करवाने की माँग की है।