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मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी नहीं मिला न्याय

विकलांग व्यक्ितयों को किसी कार्य में प्राथमिकता देने के सरकारी प्रावधान की उत्पाद विभाग धज्जियां उड़ा रहा है। विभाग के इस रवैये से हताश और परेशान विकलांग सुरेन्द्र मुख्यमंत्री के दरबार तक गुहार लगा...

 मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी नहीं मिला न्याय
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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विकलांग व्यक्ितयों को किसी कार्य में प्राथमिकता देने के सरकारी प्रावधान की उत्पाद विभाग धज्जियां उड़ा रहा है। विभाग के इस रवैये से हताश और परेशान विकलांग सुरेन्द्र मुख्यमंत्री के दरबार तक गुहार लगा चुका है पर मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद इस विकलांग व्यवसायी को न्याय नहीं मिल पा रहा हैं।ड्ढr ड्ढr मामला कंचनपुरा, फतुहां निवासी सुरेन्द्र प्रसाद सिंह को कम्पोजिट शराब दुकान संख्या-ी उत्पाद विभाग की लौटरी पद्धति से बन्दोबस्ती मिली थी। यह बन्दोबस्ती एक जुलाई 2007 से 31 मार्च 2008 तक के लिए की गई थी। सुरेन्द्र का नाम प्रखंड मुख्यालय पुनपुन में विदेशी शराब दुकान के नाम से भी लॉटरी निकली। संकल्प में बाध्यता नहीं रहने कारण सुरेन्द्र ने पुनपुन की दुकान के लिए सरेन्डर आवेदन दिया। कम्पोजिट शराब दुकान के लिए सुरेन्द्र ने रसीद संख्या-613778 के द्वारा 56 हजार 800 रूपए तथा दूसरी रसीद संख्या-6120े द्वारा 66 हजार 700 रुपए विभाग में जमा कर दिया। इसके बावजूद सुरेन्द्र को कम्पोजिट शराब दुकान की अनुज्ञप्ति नहीं मिली जबकि उसने विभाग की अधिसूचना संख्या-2704 दिनांक- 7 जून 2007 की शत्र्त 15 के तहत सारी प्रक्रिया पूरी कर ली थी।ड्ढr ड्ढr विभाग द्वारा अपने ऊपर हुए अन्याय के विरुद्ध सुरेन्द्र ने मुख्यमंत्री के जनता दरबार में गुहार लगाई। इस मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश का भी उत्पाद विभाग पर कोई असर नहीं पड़ा। विभाग ने अबतक न तो सुरेन्द्र को दुकान की अनुज्ञप्ति दी और न ही उसकी जमा राशि वापस की। दनियावां में एक छोटा सा होटल चलाकर जीविकोपार्जन करने वाला सुरेन्द्र अब न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा हैं।

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