फोटो गैलरी

Hindi News जलाश्व से होगी रिवर्स इंजीनियरिंग!

जलाश्व से होगी रिवर्स इंजीनियरिंग!

भारतीय नौसेना को आईएनएस जलाश्व (ट्रेंटन) बेचते समय अमेरिका ने जब चाहे इसके निरीक्षण और इसे युद्ध में उपयोग न करने जैसी शर्ते लगाई थी। ये बातें भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की संसद में...

 जलाश्व से होगी रिवर्स इंजीनियरिंग!
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

भारतीय नौसेना को आईएनएस जलाश्व (ट्रेंटन) बेचते समय अमेरिका ने जब चाहे इसके निरीक्षण और इसे युद्ध में उपयोग न करने जैसी शर्ते लगाई थी। ये बातें भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की संसद में शुक्रवार को पेश रिपोर्ट में उजागर होने के बाद नई जानकारी मिली है कि अमेरिका ने नौसेना और वायुसेना के लिए रात में उपयोग के कुछ अति आधुनिक विशेष उपकरणों के बारे में भी कुछ इसी तरह की शर्ते लगाई हैं। भारत की ओर से अमेरिका को जवाब दिया गया है कि वह अमेरिका को निरीक्षण की अनुमति नहीं देगा अलबत्ता यह प्रमाण पत्र दे सकता है कि उपकरण उसके पास सुरक्षित हैं। अमेरिकी अड़ियल रवैये के कारण खरीद का फैसला नहीं हो सका। विमानवाही पोत विराट के बाद दूसरा सबसे बड़ा पोत जलाश्व खरीद की अमेरिकी शर्तो पर माकपा ने सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है लेकिन सूत्रों के मुताबिक इन शर्तो को एक रणनीति के तहत माना गया है। दरअसल भारत को ट्रेंटन जैसे एलपीडी पोत की सख्त जरूरत है और इसे देश में बनाने की योजना भी है। डिजाइन के अभाव में अमेरिका के इस 36 साल पुराने पोत को 250 करोड़ रुपये में खरीदने का फैसला किया गया। इस पोत का डिजाइन तैयार करने का काम चल रहा है ताकि रिवर्स इंजीनियरिंग के जरिए स्वदेशी पोत बनाया जा सके। पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल अरुण प्रकाश ने भी ‘हिन्दुस्तान’ को इस योजना की पुष्टि की और कहा कि स्वदेशी एलपीडी के निर्माण पर 2500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। यह पोत 2017 तक तैयार होगा।ं

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें