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खनिज उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने खनिज नीति का विरोध किया

देश के प्रमुख खनिज उत्पादन रायों उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान ने राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 को राष्ट्रविरोधी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों के अनुरूप करार देते हुये केन्द्र को...

 खनिज उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने खनिज नीति का विरोध किया
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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देश के प्रमुख खनिज उत्पादन रायों उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान ने राष्ट्रीय खनिज नीति 2008 को राष्ट्रविरोधी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों के अनुरूप करार देते हुये केन्द्र को चेतावनी दी कि वे इस जनि विरोधी नीति को लागू नहीं होने देंगे। राष्टीय खनिज नीति 2008 का मसौदा कैबिनेट की मंजूरी के बाद गत 20 मार्च को रायसभा के पटल पर रखा गया है। मुख्यमंत्रियों ने एक स्वर से मांग की कि खनिज अयस्कों के निर्यात पर तुरंत रोक लगाई जाए अन्यथा आगामी 40-50 वर्षो में खनिज संपदा समाप्त हो जाएगी। इससे भावी पीढ़ियों को यह संकट झेलना पड़ेगा। उन्हांेने कहा कि ऐसा करना देश विरोधी और भावी पीढ़ियों के प्रति अपराध होगा। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, झारखंड के जल संसाधन मंत्री कमलेश कुमार सिंह की शनिवार को हुई बैठक में नई खनिज नीति पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की गई एवं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक संयुक्त ज्ञापन भेजकर खनिज नीति में बदलाव कर खनिज उत्पादक रायों के सुझावों को शामिल करने एवं खनिज निर्यात पर प्रतिबंध की मांग प्रमुखता से उठाने का निर्णय लिया गया। बैठक के बाद इन नेताआें ने संवाददाताआें से कहा कि नई खनिज नीति में खनिजों का मूल्यवर्धन सम्बद्ध रायों में करने, रायल्टी वजन आधाारित की बजाय मूल्य आधारित करने तथा स्थानीय उद्योगों की आवश्यकताआें की पूर्ति के बिना निर्यात नहीं करने जैसे महत्वपूर्ण सुझावों को बिल्कुल नहीं माना गया है। उन्होंने कहा कि नई नीति सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के एकदम विरुद्ध तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हितों के अनुरूप है। रायों ने कहा है कि हमें सिर्फ विदेशी मुद्रा के अर्जन और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए निर्यात नहीं करना चाहिए। यदि सरकार की चिंता विदेशी मुद्रा का अर्जन है तो फिर हमें तैयार माल के निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए, न कि खनिजों के कच्चे माल के रूप में। रायों ने प्रधानमंत्री से केन्द्र एवं रायों के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल कर तत्काल एक कार्यबल गठित करने का सुझाव दिया है, जो खान एवं खनिज विकास एवं नियमन अधिनियम में एवं अन्य कानूनों में संशोधन के पूर्व उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गंभीरता से विचार करे।

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