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विवाद की आत्मकथा

भाजपा के नेता आडवाणी द्वारा लिखित आत्मकथा में नित नए विवाद सामने आ रहे हैं। ताजा मामले में भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के फांसी प्रकरण पर उन्होंने लिखा कि तीनों को 1े असेम्बली बम कांड में दोषी पाए जाने...

 विवाद की आत्मकथा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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भाजपा के नेता आडवाणी द्वारा लिखित आत्मकथा में नित नए विवाद सामने आ रहे हैं। ताजा मामले में भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के फांसी प्रकरण पर उन्होंने लिखा कि तीनों को 1े असेम्बली बम कांड में दोषी पाए जाने पर ही फांसी हुई, जबकि सर्वविदित तथ्य है कि उन्हें फांसी सांडर्स-वध, लाहौर षड्यंत्र केस में हुई थी। इससे पूर्व आडवाणी कंधार विमान अपहरण कांड के मामले में यह लिख कर विवादित हो चुके हैं कि उन्हें अपहरणकर्ताओं के छोड़े जाने की कोई जानकारी नहीं थी। जो व्यक्ति देश का गृहमंत्री, उपप्रधानमंत्री, मंत्रिमंडलीय सुरक्षा समिति का सदस्य हो, तो क्या ऐसा हो सकता है कि उसे यह जानकारी न हो। और यदि उनकी बिना जानकारी के यह सब हुआ तो उन्होंने गृहमंत्री पद से इस्तीफा क्यों नहीं दे दिया था। रामरथ यात्रा के नायक अब लिखते हैं कि वे बाबरी विध्वंस के पक्षधर नहीं थे। जिन्ना प्रकरण के चलते उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा तक देना पड़ा और संघ परिवार से मांफी तक मांगी थी। आज वह फिर लिखते हैं कि जिन्ना की तारीफ पर उन्हें कोई मलाल नहीं है। समझ में नहीं आता कि एक तरफ आडवाणी वेटिंग पीएम हैं और दूसरी ओर विवादों की पोटली उनकी माई कंट्री-माई लाइफ का लोकार्पण कर रहे हैं। क्या ऐसी विवादों से भरी आत्मकथा के प्रकाशन का यह सही समय था। बेहतर होता कि वह माई लाइफ-माई मिस्टेक्स लिखकर सच्चे मन से अपनी गलतियों की स्वीकारोक्ति करते।ड्ढr जितेंद्र अग्रवाल, 300 स्वामीपाड़ा, मेरठ क्रिकेट ने किया बेड़ा गर्क दुखद और शर्मनाक पहलू है कि हमार समाज में लगभग हर आयु वर्ग के लोग क्रिकेट जसे धन और समय बर्बाद करने वाले खेल में दिन रात गहरी रुचि लेते हैं, जबकि इसके ठीक विपरीत साहित्य, कला, संस्कृति में उनकी अभिरुचि तेजी से घटती जा रही है। रही सही कसर सरकार, बहुराष्ट्रीय, विज्ञापन कंपनियों के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पूरी कर दी है। इस मामले में इनके क्रियाकलाप आग में घी का काम कर रहे हैं। नहीं तो क्या वजह है कि एक कम पढ़ा-लिखा क्रिकेट खिलाड़ी रातोंरात राष्ट्रीय स्टार बन जाता है। लेकिन, पढ़ाई में अपना जीवन झोंक देने वाला पीएचडी या डी. लिट का मेधावी छात्र दो जून की रोटी के लिए भी दर-दर की ठोकरं खाता है। यदि साहित्यिक गतिविधियों के प्रति इसी प्रकार का व्यवहार रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब साहित्यिक गतिविधियां ही नहीं सभी रचनात्मक गतिविधियों पर अपसंस्कृति हावी हो जाएगी।ड्ढr आलोक अवस्थी ‘आलोक’, 50, रामनगर, मेरठ वनों की कटाई पर रोक लगे वनों की अंधाधुंध कटाई से मानव आज विनाश की ओर बढ़ रहा है। पेड़ों का अपना महत्व है। लगभग पचास टन भार एक सामान्य वृक्ष स्वाभाविक रूप से अपनी मृत्यु तक पर्यावरण को ऑक्सीजन देकर मिट्टी के क्षरण को रोककर, प्रदूषण कम कर प्रोटीन तथा अन्य उत्पादों के माध्यम से मानव को जीवनदायी मदद देता है। सही मायने में वन संपदा हमार लिए प्रकृति का अमूल्य वरदान है। इसके मूल को कभी भी कम नहीं करना चाहिए। आज हो रही वनों की कटाई को रोकना होगा, तभी पर्यावरण हरा-भरा रहेगा।ड्ढr तरुण कुमार सावन, पुराना कुतनुपुर, रकाबगंज, आगरा दिखावा न करें ऐसा भी दिखावा क्या करना कि जब सच्चाई सामने आए तो उसे शर्मिन्दा होना पड़े। आज इंसान मोबाइल रखना, शराब-सिगरट पीना, गाड़ी में घूमना, बड़ी-बड़ी बातें आदि करता है। दिखावा करने के लिए मनुष्य कभी-कभी वस्तु उधार भी लेता है। झूठी शान में अपनी शान समझता है। सादा जीवन उच्च विचार हों तो अच्छा है। इसके बल पर आप लोगों में सम्मानीय बन सकते हैं। आप किसी के सामने झूठा दिखावा न करं क्योिंक सच्चाई एक दिन सामने आ ही जाती है, तब क्या होगा। इसलिए दिखावा बिल्कुल न करं।ड्ढr पवन सारस्वत, सैनिक बिहार, बुन्दू कटरा, आगरा

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