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शुद्ध पेयजल मुहैया कराने को 379 करोड़

बिहार के आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित टोलों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार ने एकमुश्त 37रोड़ रुपए की योजनाओं की स्वीकृति दी है। गंगा के किनार के 11 जिलों के जलस्रेतों की जांच कराई गई थी।...

 शुद्ध पेयजल मुहैया कराने को 379 करोड़
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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बिहार के आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित टोलों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए सरकार ने एकमुश्त 37रोड़ रुपए की योजनाओं की स्वीकृति दी है। गंगा के किनार के 11 जिलों के जलस्रेतों की जांच कराई गई थी। इनमें 50 प्रखंडों के लगभग 850 टोलों के कुछ पेयजल स्रेतों में आर्सेनिक की मात्रा अनुमान्य सीमा से अधिक पाई गई। इसके असर वाले चापाकलों को लाल और सुरक्षित स्रेतों को नीले रंग से रंगकर ग्रामीणों को इससे वाकिफ करा दिया गया है। पीएचईडी से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे टोलों के कुंओं के पानी में आर्सेनिक की मात्रा अुनमान्य सीमा से काफी कम पाई गई है। वहां तत्काल राहत के तौर पर प्रभावित टोलों में दो-दो ‘सेनिटरी वेल’ का निर्माण कराया जाएगा।ड्ढr ड्ढr भोजपुर जिले के ऐसे 3टोलों में 54 करोड़ रुपए खर्चकर गंगा का जल शोधनकर पाइप से पानी पहुंचाया जाड्ढr रहा है। वर्ष 2007-08 में स्वीकृत केन्द्र प्रायोजित सब मिशन कार्यक्रम के तहत आर्सेनिक प्रभावित 74 टोलों तथा फ्लोराइड प्रभावित 16 टोलों में साफ पानी पहुंचाने के लिए 22 करोड़ रुपए से रिवर्स ऑसमोसिस ट्रीटमेंट एवं सोलर सिस्टम से ऊर्जा हासिल कर 50 पाइप जलापूर्ति योजनाओं का कार्य शुरू कराया जाएगा। सब मिशन कार्यक्रम के तहत ही वैशाली, पटना और बक्सर जिले के आर्सेनिक प्रभावित टोलों के लिए 330 करोड़ रुपए की लागत से गंगा नदी के जल का शोधनकर मल्टीविलेज पाइप, जलापूर्ति योजना और गुणवत्ता प्रभावित टोलों के लिए 44 करोड़ रुपए की लागत से ट्रीटमेंट यूनिट और सौर उर्जा चालित पम्पों के प्रावधान के साथ 100 अदद जलापूर्ति योजना पर केन्द्र सरकार से इस वर्ष जनवरी में ही स्वीकृति मिल गई है। स्वीकृत योजनाओं के विरुद्ध केन्द्र सरकार 130 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी कर चुकी है। इसके साथ ही राज्य के 1000 चापाकलों में 4.22 करोड़ से आर्सेनिक-फ्लोराइड रिमूवल यूनिट लगाए जाएंगे। इन योजनाओं पर केन्द्र को 75 फीसदी और राज्य को 25 फीसदी खर्च करना है।

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