फोटो गैलरी

Hindi News ‘वफादारी को लेकर असमंजस में था’

‘वफादारी को लेकर असमंजस में था’

भारत के कोच के तौर पर गैरी कर्स्टन का पहला आफिशियल असानाइनमेंट उस टीम के खिलाफ था जिसका वह कभी हिस्सा थे। पूर्व दक्षिण अफ्रीकी ओपनर गैरी कर्स्टन ने स्वीकार किया है कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाल में...

 ‘वफादारी को लेकर असमंजस में था’
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

भारत के कोच के तौर पर गैरी कर्स्टन का पहला आफिशियल असानाइनमेंट उस टीम के खिलाफ था जिसका वह कभी हिस्सा थे। पूर्व दक्षिण अफ्रीकी ओपनर गैरी कर्स्टन ने स्वीकार किया है कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाल में बराबरी पर खत्म हुई टेस्ट सीरीज के दौरान असमंजस में थे। कर्स्टन ने कहा, ‘असमंजस वफादारी को लेकर था। वह समझ नहीं पा रहे थे कि अपने मूल देश का समर्थन करं अथवा भारत का।’समाचार पत्र ‘द बील्ड’ के अनुसार कर्स्टन ने कहा, ‘अगर यह कहूं कि मैं भारत के कोच के तौर पर अपनी जिम्मेदारियों के प्रति हर क्षण समर्पित था तो यह गलत होगा। कुछ देर के लिए मैं भारत अथवा दक्षिण अफ्रीका में से किसी एक का समर्थन करने को लेकर पसोपेश में भी था।’ भारत ने कानपुर के टर्निग ट्रैक पर तीन दिन के भीतर तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच जीतकर सीरीज 1-1 से बराबर कर ली। दक्षिण अफ्रीका ने अहमदाबाद में भारत को पारी से करारी शिकस्त दी थी। चेन्नई में खेला गया पहला टेस्ट मैच ड्रा रहा था। कर्स्टन ने कहा, ‘मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत सीरीज 1-1 से बराबर करने में कामयाब रहा।’ कर्स्टन 2004 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने से पहले दक्षिण अफ्रीकी टीम के सदस्य थे। उन्होंने पिछले महीने ही भारतीय टीम के कोच का पद संभाला है। पूर्व दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज ने कहा कि भारत जैसी टीम के कोच की जिम्मेदारी संभालना बहुत मुश्किल काम है। क्योंकि टीम से लोगों की आशाएं लगातार बढ़ती जाती हैं। जिन्हें हमेशा पूरा कर पाना अक्सर मुमकिन नहीं होता। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कोच बॉब वूल्मर को अपना प्रेरणास्त्रोत बताते हुए कर्स्टन ने कहा, ‘मुझे याद है कि वूल्मर ने किस खूबसूरती से अपनी कोच की जिम्मेदारी को निभाया। उन्होंने इसके लिए कड़ी मेहनत की।’ कर्स्टन ने कहा कि पहली बार पिछली सप्ताह कानपुर टेस्ट के दौरान उन्होंने खुद को नर्वस महसूस किया। उस समय भारत जीत के लिए 62 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था और कुछ विकेट गिर गए थे। उन्होंने कहा, ‘मेर दिमाग में पूर समय यही बात घूमती रही कि दो या तीन विकेट जल्दी-जल्दी निकल गए तो।’ मैदान के दबाव के अलावा कर्स्टन ने कहा कि भारतीय मीडिया को संभालना बहुत मुश्किल काम है। मीडिया वाले एक टिप्पणी के लिए आपको बुरी तरह घेर लेते हैं। एजसीउन दिनों में भी जब आपके पास कहने के लिए कुछ नहीं होता। उन्होंने कहा कि यह असंभव है कि आप टीम होटल के परिसर से बाहर निकलें और आपका सामना टेलीविजन और अखबारों के पत्रकारों से न हो। पूर्व सलामी बल्लेबाज को बीसीसीआई ने हिदायत दे रखी है कि वे मीडिया से केवल आधिकारिक प्रेस कोंफ्रेंस के दौरान बात करं। कर्स्टन ने कहा कि वह इस निर्देश क पालन करने की पूरी कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरी कोशिश होती है कि मैं बोर्ड के निर्देश पर अमल करूं। इतने सार टीवी चैनल और अखबारों के रहते संभव है कि छोटी सी बात तिल का ताड़ बन जाए।’ं

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें