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नए दौर का क्रिकेट

सांस रोककर देखिए, क्रिकेट का कैसा कायापलट हो रहा है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का तमाशा शुरू हो चुका है। बाजार की ताकतों पर टिके इस दौर में बीस-बीस ओवर की इस प्रतियोगिता का आगाज धमाकेदार रहा। खेल...

 नए दौर का क्रिकेट
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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सांस रोककर देखिए, क्रिकेट का कैसा कायापलट हो रहा है। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) का तमाशा शुरू हो चुका है। बाजार की ताकतों पर टिके इस दौर में बीस-बीस ओवर की इस प्रतियोगिता का आगाज धमाकेदार रहा। खेल और मनोरांन की ‘कॉकटेल’ को अनोखे अंदाज में पेश किया गया है। यह युवाओं का खेल है और अंतत: इसकी शक्ल-सूरत भी उनकी इच्छा और आकांक्षाओं के अनुरूप ढलेगी। फिलहाल अनुमान लगाना कठिन है कि फिल्मों और क्रिकेट के अनूठे मिलन से उभर नए दौर में इस खेल का भविष्य क्या रहेगा। कलात्मक खेल के मोहपाश में जकड़ा भद्रलोक इस तूफानी क्रिकेट को भले ही चूं-चूं का मुरब्बा माने, लेकिन हकीकत यह है कि जिसका सिक्का चल जाए बादशाह वही कहलाता है। पांच दिन का टेस्ट और पचास-पचास ओवर के एकदिवसीय मैच को उबाऊ, थकाऊ और वक्त की बर्बादी मानने वालों को तीन घंटे के जिस संक्षिप्त संस्करण की दरकार थी, वह आईपीएल ने परोसा है। इसमें खेल के साथ-साथ नाच-गाना है, शोर-शराबा है, मौज-मस्ती है। बल्लेबाजों को लप्पेबाजी और कुटाई की खुली छूट है। संभलने से पहले ही टीम का जुलूस निकल जाने की संभावना है। क्रिकेट बिरादरी के खलीफा खिलाड़ी इस नई विधा को लेकर भले ही नाक-भौं सिकोड़ें, फिर भी सब इससे जुड़ने की जुगत लगा रहे हैं। आज हिन्दुस्तान क्रिकेट का मक्का-मदीना बन गया है। कभी गोरों की मुट्ठी में बंद इस खेल पर अब हमारा वर्चस्व है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी)का कारोबार हिन्दुस्तान के पैसों पर टिका है। समय बदल चुका है। आईपीएल के जन्म के बाद तो भारत की आवाज और बुलंद हो गई है। इसे अनसुना करने का साहस कौन कर सकता है? आईपीएल के चौराहे पर हर बड़ा बल्लेबाज और गेंदबाज अपनी बोली लगवाने को तैयार है। खिलाड़ियों पर लक्ष्मी मेहरबान है, आयोजकों के हाथ तो नोट गिनते-गिनते थक गए हैं। हर चीज बिकाऊ बना दी गई है। यहां तक कि मीडिया के पेशेवर अधिकारों का अतिक्रमण भी हुआ है। मजबूरन अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसियों को बहिष्कार का मार्ग अपनाना पड़ा है। इसे आदर्श स्थिति नहीं माना जा सकता। क्रिकेट पर पैसा भारी है। खेल भावना दबी-दबी दिखती है। आईपीएल की आंधी से अनेक सवाल जन्म ले रहे हैं। नए दौर में उनका उत्तर खोजना ही पड़ेगा।

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