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मुझे पता है पलायन की पीड़ा..

देश के प्रधानमंत्री को अच्छी तरह अहसास है कि पलायन की पीड़ा कैसी होती है। तभी तो टाटा शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने झारखंड और बिहार से होनेवाले पलायन पर चिंता जतायी और कहा कि...

 मुझे पता है पलायन की पीड़ा..
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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देश के प्रधानमंत्री को अच्छी तरह अहसास है कि पलायन की पीड़ा कैसी होती है। तभी तो टाटा शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने झारखंड और बिहार से होनेवाले पलायन पर चिंता जतायी और कहा कि पलायन परिवारों के लिए दर्द और विपत्ति लेकर आता है। उन्होंने कहा कि झारखंड और बिहार से बड़ी तादाद में लोग देश के उन शहरों में पलायन के लिए मजबूर होते है जहां नये उद्योग पनप रहे हैं। प्रधानमंत्री पलायन करने वालों की पीड़ा में भी सहभागी बने। उन्होंने कहा, मैं ऐसे परिवारों के दुख-दर्द में उनके साथ हूं। मुझे पता है कि पलायन की पीड़ा कैसी होती है क्योंकि एक बार मेर परिवार को भी इसके लिए मजबूर होना पड़ा था। इसी के साथ उन्होंने उम्मीद जतायी कि झारखंड में एक नये युग की शुरुआत होगी जिसमें नौकरियां इन परिवारों तक पहुंचेंगी। गौरतलब है कि झारखंड से हर साल करीब सवा लाख आदिवासी जिनमें अधिकांश अशिक्षित और वंचित तबके के होते हैं काम की तलाश में उत्तर प्रदेश, असम, दिल्ली, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात और पंजाब जसे राज्यों में जाते हैं। इनमें सर्वाधिक करीब 65 फीसदी तादाद महिलाओं की होती है। वहां उनसे अमानवीय हालात में काम लिया जाता है और अकसर उन्हें मालिकों ठेकेदारों और बिचौलियों के शोषण और उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। खेती के सीजन में पलायन की रफ्तार और तेज हो जाती है क्योंकि झारखंड के 0 फीसदी गांवों में सिंचाई और बिजली की सुविधा नहीं है। श्रम शक्ित को स्वर्णिम संपत्ति बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संपत्ति तभी बनती है जब हम उसमें निवेश करते हैं। और अगर हम उनमें निवेश नहीं करते तो वे बोझ बन जाते हैं। प्रधानमंत्री ने निजी क्षेत्र और राज्य सरकार दोनों को उनके दायित्व का बोध कराया और कहा कि कुछ पाना है तो उसमें निवेश करना ही पड़ेगा। आपसी सामंजस्य और समझदारी से ही राज्य का विकास संभव है।‘आयरन ओर मिला, तो नया प्लांट’बोकारो। केंद्रीय इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि झारखंड सरकार आयरन ओर उपलब्ध कराये, तो सेल 12 मिलियन टन क्षमता का नया इस्पात संयत्र लगाने को तैयार है। इससे बोकारो जसे तीन नये शहरों का निर्माण होगा और लाखों लोगों को रोगार मिलेगा। प्रधानमंत्री की उपस्थिति में दिल्ली में हुई बैठक में राज्य सरकार ने चिड़िया माइंस से एक बिलियन टन लौह अयस्क का लीज देने की बात कही थी, लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हुआ है। पासवान ने कहा कि उक्त समझौते के अनुसार झारखंड सरकार आयरन ओर दे, तो केंद्र स्टील इंडस्ट्री लगाने में देर नहीं करगी। स्टील सेक्टर पर 54 हाार करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। केंद्र सरकार सेल को सबसे आगे ले जाना चाहती है। बोकारो स्टील प्लांट के आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजना के शिलान्यास के मौके पर पासवान बोल रहे थे। उन्होंने बीएसएल के हरक कर्मचारी को तीन-तीन हाार रुपये देने की घोषणा की। विस्थापितों के नियोजन की चर्चा करते हुए कहा कि 485 लोगों की नियुक्ित की गयी, जिसमें 317 विस्थापित हैं। 70 जनजातीय के लिए आरक्षित था। आगे भी विस्थापितों को प्राथमिकता दी जायेगी। पासवान ने कहा कि बोकारो की उत्पादन क्षमता 4.7 एमटी से बढ़कर सात एमटी हो जायेगी। इसपर 11 हाार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। 2010 तक 10 एमटी उत्पादन का लक्ष्य है। स्टील सेक्टर चरमराया हुआ था। यूपीए सरकार ने इसमें सुधार किया है। यही कारण है कि स्टील उत्पादन के मामले में भारत विश्व में सातवें स्थान पर था, जो अब पांचवे पायदान पर है। 2015 तक दूसर नंबर तक पहुंचने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। अभी देश में 53 एमटी स्टील का उत्पादन किया जा रहा है। 2020 तक इसे बढ़ाकर 300 एमटी किया जायेगा। स्टील की खपत तेजी से बढ़ रही है। जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्र कृतसंकल्प है। बीआर एल समेत बीमार उद्योगों को सेल में मर्ज कर इसे सबसे आगे ले जाया जायेगा। इससे लोगों को रोगार मिल सकेगा। 21वीं सदी में भारत को आर्थिक महाशक्ित बनाना है : जतीन बोकारो। केंद्रीय इस्पात राज्यमंत्री जतीन प्रसाद ने कहा कि 21वीं सदी में भारत को आर्थिक महाशक्ित बनाना है। इसके लिए आधारभूत संरचना का निर्माण आवश्यक है। यह स्टील सेक्टर पर काफी हद तक निर्भर करता है। प्रसाद 22 अप्रैल को बोकारो में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस्पात निर्माण में झारखंड की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी को आगे बढ़ाते हुए बोकारो स्टील प्लाटं की क्षमता बढ़ायी जा रही है। अब भारत इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से आगे जा रहा है। विश्व पटल पर इसने अपनी अलग पहचान बनायी है। बीएसएल सुनिश्चित कर कि निर्धारित समय सीमा के भीतर विस्तारीकरण का काम पूरा कर लिया जाये

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